नई दिल्ली. नये साल की पहली तारीख से दिल्ली में कारों के लिए ऑड-इवन फॉर्मूला लागू हो जाएगा. जिसके हिसाब से अब दिल्ली की सड़कों पर एक दिन ऑड नंबर वाली कारें चलेंगी तो दूसरे दिन इवन नंबर की कारें. दिल्ली सरकार की दलील है कि इससे देश की राजधानी में पॉल्यूशन का लेवल कम होगा.
लेकिन सवाल है कि क्या सिर्फ कारों की संख्या कम होने से दिल्ली को प्रदूषण से राहत मिल जाएगी. राज्य सरकार के मुताबिक दिल्ली में रोजाना करीब 84 लाख गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती हैं जिनमें करीब एक तिहाई यानी 30 लाख सिर्फ कारें हैं और इस फॉर्मूले से एक दिन में करीब 30 फीसदी तक प्रदूषण कम हो सकता है.
क्या सिर्फ ऑड और इवन फॉर्मूले से दिल्ली को पॉल्यूशन फ्री बनाया जा सकता है क्योंकि प्रदूषण की वजहें तो और भी कई सारी हैं. बता दें कि दिल्ली में करीब 70 फीसदी प्रदूषण गाड़ियों की वजह से है जबकि थर्मल प्लांट की हिस्सेदारी करीब 17 फीसदी है और बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट से होने वाले प्रदूषण के लिए सुप्रीम कोर्ट भी कड़ी फटकार लगा चुका है.
इंडिया न्यूज के खास शो “जन गण मन” में आज हम यही जानने की कोशिश कर रहे हैं कि दिल्ली में ऑड और इवेन का फॉर्मूला कितना कामयाब होगा.
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