नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप के नाबालिग आरोपी की रिहाई के बाद आज राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पेश किया गया. इस दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा, ”आज 18 साल से कम उम्र के बच्चे गंभीर अपराध कर रहे हैं और कहते हैं कि हमें सुधार गृह में डाल दो. इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ रही है. पूरा देश इस बिल में बदलाव चाहता है.”
बिल के अहम बिंदु:
- राज्यसभा में हुई बहस में तय किया गया है कि जुवेनाइल कोर्ट द्वारा अपराधी घोषित किए गए आरोपी को कम से कम तीन साल की सजा और ज्यादा से ज्यादा 7 साल की सजा होगी.
- 16 से 18 साल के बीच उम्र का आरोपी अगर गंभीर अपराध करता है तो उसके साथ एक वयस्क की तरह बर्ताव किया जाएगा. न्यूनतम 3 साल की सजा औऱ ज्यादा से ज्यादा सात साल की सजा का प्रावधान है.
- बलात्कार जैसे अपराधों में शामिल 16 साल से ज्यादा उम्र के किशोर को सुधार गृह में रखा जाए या उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाया जाए
चर्चा के दौरान मिले अहम सुझाव:
- संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन से आम लोगों में ये संदेश जाना चाहिए कि ये क़ानून पिछली तारीख़ से लागू नहीं होगा.
- कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को और अधिकार देने चाहिए. जेलों में अपराधियों को शिक्षित करने का भी एक सिस्टम होना चाहिए.