गड़बड़ी तब की हैं जब अरुण जेटली DDCA अध्यक्ष नहीं थे: चौहान

नई दिल्ली. दिल्ली एण्ड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) के कार्यकारी अध्यक्ष चेतन चौहान ने कहा है कि डीडीसीए में अनियमितता और गड़बड़ी के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, ये सारे मामले तब के हैं जब वित्त मंत्री अरुण जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष नहीं थे. चौहान ने कहा कि जेटली की पहल और कोशिश की नतीजा है कि दिल्ली में आज वर्ल्ड क्लास स्टेडियम है.
डीडीसीए गड़बड़ी पर आम आदमी पार्टी की पीसी के बाद चेतन चौहान 24 घंटे के अंदर दूसरी बार मीडिया से मुखातिब हुए. चौहान ने कल रात भी मीडिया संबोधित किया था और कहा था कि डीडीसीए में कोई घपला नहीं है और जेटली ने DDCA अध्यक्ष के तौर पर शानदार काम किया था.
डीडीसीए के रोज़ के कामकाज में दखल नहीं करते थे जेटली- चौहान
चौहान ने आज कहा कि जेटली के बाद जो प्रेसिडेंट बने थे उनके खिलाफ शिकायत थी तो उनको हटाया गया और इस समय वो एसोसिएशन के वर्किंग प्रेसिडेंट के तौर पर काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि डीडीसीए में जिन अनियमितताओं की बात की जा रही है, उस दौरान जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष नहीं थे. चौहान ने कहा कि जो भी भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
चौहान ने कहा कि जो आरोप इस समय लगाए जा रहे हैं, इन चीजों की 2012 में जांच हुई थी और उस समय बीजेपी की सरकार भी नहीं थी लेकिन उसमें जेटली को लेकर कुछ नहीं निकला. उन्होंने कहा कि जेटली 13 साल प्रेसिडेंट रहे लेकिन कभी डीडीसीए के रोज के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं किया.
बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने भी किया जेटली का बचाव
जेटली के बचाव में बीसीसीआई के सचिव और बीजेपी युवा मोर्चा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी उतर आए हैं. बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि अरुण जेटली ईमानदार राजनेता हैं.
बीसीसीआई सचिव ठाकुर ने कहा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल एक भ्रष्ट अधिकारी के काम पर पर्दा डालने के लिए अरुण जेटली का नाम बीच में घसीट रहे हैं.
डीडीसीए पर अनियमितता के क्या हैं आरोप ?
डीडीसीए में अनियमितता पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चेतन सांघी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. सांघी ने हाल में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने डीडीसीए में घोटालों का खुलासा किया है. रिपोर्ट में 2002 से अब तक की जांच की गई है.
डीडीसीए ने फ़िरोज़शाह कोटला के दोबारा निर्माण का फैसला लिया था जो 2002 से 2007 तक चला. इस पर 24 करोड़ ख़र्च होने थे पर ख़र्च 114 करोड़ रुपए हुए. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेडियम के अधिकतर कामों के लिए टेंडर निकालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसके इलावा डीडीसीए ने स्टेडियम में 12 कॉर्पोरेट बॉक्स बनाए जो उचित प्रक्रिया के बिना कंपनियों को लीज़ कर दिए गए.
रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम के निर्माण में शामिल अधिकतर कंपनियां डीडीसीए के अधिकारियों की ‘फ्रंट’ कंपनियां हैं इसीलिए बजट जान-बूझकर कई गुना बढ़ाया गया. डीडीसीए फ़िरोज़शाह स्टेडियम को शहरी विकास मंत्रालय से लीज़ पर लेकर चलाता है. इसके बदले डीडीसीए मंत्रालय को हर साल लगभग 25 लाख रुपए देता है. मंत्रालय को आज की दर से 16 करोड़ रुपए सालाना मिलने चाहिए. रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के कारण डीडीसीए के पास स्टेडियम चलाने के लिए फिलहाल कोई लीज़ नहीं है.

 

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