राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना इतिहास दोबारा लिखवा रहा है. आरएसएस की नई किताब में आपातकाल, बालासाहेब देवरस, केएस सुदर्शन और नागपुर से दिल्ली के बीच के सत्ता संघर्ष की कहानी होगी.
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना इतिहास दोबारा लिखवा रहा है. आरएसएस की नई किताब में आपातकाल, बालासाहेब देवरस, केएस सुदर्शन और नागपुर से दिल्ली के बीच के सत्ता संघर्ष की कहानी होगी.
सुत्रों के मुताबिक नई किताब के लेखक भी वहीं है जिन्होंने 28 साल पहले 1987 में ‘द ब्रदरहुड इन सैफ्रनः द राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एंड हिंदू रिवाइलिज्म.’ किताब को लिखा था.
इतिहास के पुनर्लेखन के पीछे मंशा क्या है ये तो संघ ही जानता है, लेकिन बताया जा रहा है कि नई किताब में आपातकाल, बालासाहेब देवरस, केएस सुदर्शन और नागपुर से दिल्ली के बीच के सत्ता संघर्ष की कहानी होगी.
1987 में लिखी गई ‘द ब्रदरहुड इन सैफ्रन’ को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के साथ काम कर चुके वाल्टर के. एंडरसन और संघ से नजदीकी रखने वाले श्रीधर डामले ने 1987 में लिखा था.
अब एंडरसन डॉन होपकिन्स और डामले के साथ ही दोबारा इसे लिखने की तैयारी में जुट गए हैं. डामले अब बतौर रिसर्चर शिकागो में रह रहे हैं. एक अंग्रेजी अखबार को डामले ने बताया कि इस किताब में वह कारण भी होगा जिसकी वजह से आपातकाल के दौरान देवरस ने इंदिरा गांधी से माफी मांगी थी.
डामसे का कहना है कि इंदिरा गांधी से माफी मांगना रणनीति का हिस्सा था. यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी को भी इंदिरा से माफी मांगने को कहा गया था. डामले ने कहा कि वाजपेयी ने मुझे बताया था कि मैं बिना इजाजत कुछ नहीं कर रहा.
डामले के मुताबिक इस किताब का सबसे दिलचस्प अंश होगा एकनाथ रानाडे का आपातकाल के दौरान कन्याकुमारी जाना. रानाडे को विवेकानंद मेमोरियल की स्थापना के लिए कन्याकुमारी भेजा गया था. वह छह साल तक सरकार्यवाह रहे, लेकिन कन्याकुमारी जाने के बाद वह संघ में नहीं लौटे.