बेंगलुरु. फोरेंसिक जांच में सामने आया है कि कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी, कम्युनिस्ट लीडर गोविंद पानसारे और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक रहे नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के पीछे एक ही गैंग शामिल हो सकता है. सबूतों से इस बात का स्पष्ट इशार मिलता है कि कुछ खास हत्यारे जो दो तरह का हथियार इस्तेमाल कर रहे थे उन्हीं ने इन तीनों हत्याओं को अंजाम दिया है.
बता दें कि कलबुर्गी की इस साल 30 अगस्त को कर्नाटक के धारवाड़ में उनके घर पर हत्या कर दी गई थी. गोविंद पानसारे की महाराष्ट्र के कोल्हापुर में फरवरी 2015 में, जबकि नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में अगस्त 2013 में हत्या कर दी गई थी.
फोरेंसिक जांच में क्या निकला?
69 वर्षीय दाभोलकर को 7.65 एमएम की देश में बनी पिस्टल से 4 गोलियां मारी गईं जबकि 81 साल के पानसरे और उनकी पत्नी उमा को भी 7.65 एमएम की दो पिस्टल से 5 गोली मारी गई. उमा बच गईं, लेकिन पानसरे मारे गए. दोनों घटनाओं में आरोपी बाइक पर ही आए थे. बता दें कि प्रोफ़ेसर कलबुर्गी को भी 7.65 एमएम की पिस्टल से ही दो गोली मारी गई. सभी घटनाओं में आरोपी बाइक पर ऐ और उनकी संख्या भी दो ही थी.
क्या कहती है कर्नाटक सीआईडी
कर्नाटक सीआईडी की ओर से कलबुर्गी की हत्या की चल रही जांच से जुड़े कई सूत्रों का कहना है कि इन तीनों अपराधों में आपस में जरूर कोई लिंक है. मौके से मिले कारतूसों के खोल की जांच से इस बात का पता चलता है. इन तीनों हत्याकांड में मारे गए लोगों के प्रोफाइल, हत्या की वजह, हत्या के तरीके और हत्या में इस्तेमाल 7.65 मिमी के देसी हथियार की वजह से काफी समानता पहले से थी. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इनके आपस मे जुड़े होने का कोई वास्तविक सबूत सामने आया है. हालांकि कर्नाटक के डीजी एच सी किशोर चंद्र का कहना है कि कलबुर्गी मामले में जांच चल रही है. जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मैं कुछ भी खुलासा नहीं कर सकता.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नाम न छापने की शर्त पर कर्नाटक के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने कहा, ‘फोरेंसिक जांच के मुताबिक कलगुर्गी और पानसारे के मामले में बरामद किए गए कारतूस के खोल बहुत हद तक एक जैसे हैं. हत्या के तरीके के अलावा इस्तेमाल कारतूसों की वजह से भी तीनों मामलों में काफी समानता है. हालांकि, वारदात के दोषियों की पहचान करने के लिए इतने सबूत काफी नहीं हैं.’
सनातन संस्था पर शक है
सनातन संस्था पर शक कलबुर्गी की हत्या की जांच कर रही कर्नाटक सीआईडी, दाभोलकर केस की जांच कर रही सीबीआई और पानसारे मर्डर की जांच कर रही एसआईटी, तीनों को ही दक्षिणपंथी ग्रुप सनातन संस्था के चार लापता लोगों पर इन मर्डर में शामिल होने का शक है. यह चारों गोवा में 2009 में हुए एक ब्लास्ट के आरोपी थे. इन आरोपियों में जयप्रकाश उर्फ अन्ना और रूद्रा पाटिल दोनों ही कर्नाटक से हैं, जबकि सारंग कुलकर्णी उर्फ सारंग अकोलकर और प्रवीण लिमकर महाराष्ट्र के रहने वाले थे. इन सभी की कई सालों से तलाश जारी है.
गोवा ब्लास्ट की जांच कर रहे एक एनआईए के अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में इन सभी के नेपाल भाग जाने की बात सामने आई थी. इसके बाद, 2014 में वे कथित तौर पर वापस लौटे थे. बता दें कि गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने राज्यसभा में दो दिसंबर को दिए लिखित जवाब में कहा था कि उपलब्ध जानकारी के आधार पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिससे पानसारे, दाभोलकर और कलबुर्गी की हत्या में आपसी लिंक होने के सबूत मिलें.