नई दिल्ली. सरकार ने बुधवार को कई संशोधनों के साथ रियल स्टेट बिल 2015 को मंजूरी दे दी. बिल में खरीददारों के हितों का ध्यान रखते हुए बिल्डरों पर नकेल कसने की कोशिश की गई है. अब बिल्डरों को प्रोजेक्ट की खातिर लिए गए एडवांस पैसे का 70 फीसदी हिस्सा उसी प्रोजेक्ट के लिए खोले गए अकाउंट में जमा करना होगा, जिससे प्रोजेक्ट जल्द पूरा हो सकेगा.
बिल के बिना किसी परेशानी के पास होने की उम्मीद
राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी ने इसे 50 फीसदी तक करने का सुझाव दिया था, लेकिन सरकार ने कांग्रेस और सीपीएम की मांग को मानते हुए इसे 70 फीसदी कर दिया. संसद के मौजूदा सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा. माना जा रहा है कि बिना किसी परेशानी के यह बिल इसी सत्र में पास हो जाएगा. सरकार को उम्मीद है नए बिल से रियल एस्टेट सेक्टर में घरेलू और विदेशी निवेश बढ़ेगा, जिससे सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट हाउसिंग फॉर ऑल को प्राइवेट सेक्टर की मदद से पूरा किया जा सकेगा.
रियल एस्टेट बिल 2015
इस बिल के बाद बिल्डर्स को एडवांस पैसे का 70% अलग अकाउंट में जमा करना होगा. यह सभी नियम हाउसिंग ही नहीं कमर्शियल प्रॉपर्टी पर भी लागू होंगे. सभी राज्यों में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा. अथॉरिटी बनने के साथ ही बिल्डरों और रियल एस्टेट एजेंटों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. प्रोजेक्ट के जल्द क्लियरेंस के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शरू होगा और उपभोक्ताओं की शिकायतों की सुनवाई की प्रक्रिया तेज की जाएगी.
बिल से आएंगे क्या बदलाव
अब इस बिल को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा. इस बिल के पारित होने के बाद रियल एस्टेट रेग्युलेटर के बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा. इसके अधीन प्रत्येक राज्य में एक रेग्युलेटर का गठन किया जाएगा जो बिल्डर के खिलाफ शिकायत की सुनवाई जल्द से जल्द पूरा करेगा. रेग्युलेटर के पास डेवलपर के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर जुर्माना लगाने का अधिकार होगा. डेवलपर को रेग्युलेटर के पास रेजिडेंशियल या कॉमर्शियल प्रोजेक्ट का पंजीकरण करना आवश्यक होगा. डेवलपर को रेग्युलेटर के पास रेजिडेंशियल या कॉमर्शियल प्रोजेक्ट का पंजीकरण करना आवश्यक होगा. इस बिल से खरीददारों को भी काफी अधिकार मिलेंगे.