चेन्नई. चेन्नई में बारिश थोड़ी थम गई है और पानी भी छटने लगा है. हालांकि आपदा की इस घडी में में भी मुनाफाखोर अपनी हरक़तों से बाज नहीं आ रहे हैं. पिछले कई दिनों से घरों में कैद लोग अपनी ज़रुरत का सामान खरीदने के लिए निकले हैं लेकिन उन्हें 20 रुपए की एक इडली को 80 से 100 रुपए में खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है.
मुनाफाखोरों की हो रही है चांदी
सिर्फ इडली ही नहीं साफ़ पानी की एक बोतल 150 रुपए, दूध 100-150 रुपए प्रति किलो और सब्जियां या तो हैं ही नहीं और हैं भी तो उनके दाम किसी गरीब आदमी की पहुंच से कोसो दूर बने हुए हैं. सब्जियों में टमाटर 90 रुपए किलो मिल रहा है तो भिंडी के दाम 150 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं.
पैट्रोल पम्प पर भी डीजल और पैट्रोल ब्लैक में ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है. निजी क्षेत्र के एक कर्मचारी टीई एन सिम्हन ने बताया कि वह बाढ़ से प्रभावित कई इलाकों में से एक पश्चिमी मम्बलम में रहने वाले अपने रिश्तेदार से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. वह शुगर के मरीज हैं और नियमित अंतराल पर इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं. मैं नहीं जानता कि उनके पास यह इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में है या नहीं. मैं उनके पास जाने में असमर्थ हूं. बता दें कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में दवाएं भी सामान्य से दुगनी-तिगनी कीमतों पर बेची जा रहीं हैं.
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और ‘गूंज’ एनजीओ चलाने वाले अंशु गुप्ता भी चेन्नई बाढ़ के बाद जारी इस मुनाफाखोरी को लेकर काफी निराश हैं. वे अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि एक तरफ तो बाढ़ की सिचुएशन में वैसे ही सामानों की किल्लत है वहीं दूसरी तरफ ज़रूरी सामानों जैसे दूध, सब्जी और दवाइयों का ऐसी ऊंची कीमतों में बेचा जाना शर्मनाक है.
पीने के पानी का संकट
बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वालों के लिए पीने के पानी और खाने की कमी सबसे बड़ी समस्याएं हैं. अदयार नदी के पास के मोहल्ले के लक्ष्मण ने कहा, ‘चारों ओर पानी ही पानी है, लेकिन पीने के पानी की एक बूंद भी नहीं है. जरूरी दस्तावेज, पहचान पत्र, राशन कार्ड और बहुत सी अन्य चीजें पानी में बह गई हैं.’ चेन्नई की मौजूदी पीढ़ी ने इतना पानी कभी नहीं देखा था. पहली बार फ्लाईओवर के ऊपर तक पानी को बहते हुए देख रहे हैं. बाढ़ की वजह से स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बैंक, कारखाने सब बंद हैं.