नई दिल्ली. एक तरफ देश में बीफ बैन को लेकर सियासत गर्म है तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी सरकार ने अब भैंस, गाय आदि की चर्बी पर लगे प्रतिबंधों को 32 साल बाद हटा दिया है. ‘द हिंदू’ में छपी खबर के मुताबिक चर्बी की एक्सपोर्ट मार्केट में पिछले काफी समय से महीने दर महीने बड़ा बूम आ रहा है जिसे देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
मोदी सरकार ने बीफ की चर्बी निर्यात के फैसले पर 31 दिसंबर 2014 को तब मुहर लगाई थी जब डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड(DGFT) ने (buffalo tallow) पर आधिकारिक आदेश को ड्राफ्ट दिया. DGFT के आदेश के मुताबिक, ”अब टैलो एक्सपोर्ट APEDA रजिस्टर्ड एकीकृत मीट प्लांट से ही किया जा सकता है. इसके अलावा इसे APEDA द्वारा अप्रूव्ड लेबोरेटरीज से बायो-केमिकल टेस्ट कराना भी अनिवार्य होता है.”
जनवरी से लेकर मार्च 2015 तक 29.85 लाख की 74 हजार किलो चर्बी को एक्सपोर्ट किया गया. जबकि अप्रैल से अगस्त तक इस साल यह बढ़कर 36 गुना यानी तकरीबन 10.95 करोड़ हो गया. अप्रैल से अगस्त के बीच करीबन 2.7 मिलियन किलो मीट एक्सपोर्ट किया गया. टैलो एक्सपोर्ट की कीमत में भी लगभग 40 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी देखी गई.
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ‘पिंक रिवॉल्यूशन’ को जोरों-शोरों से उठाया था और उन्होंने देश में मीट एक्सपोर्ट की भी कड़ी निंदा की थी. चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार पर ये कह कर हमला बोला था कि मनमोहन सरकार चोरी-छिपे मीट निर्यात को बढ़ावा दे रही है. पहली बार इसके लिए ‘गुलाबी क्रांति’ यानी ‘पिंक रिवॉल्यूशन’ शब्द का इस्तेमाल हुआ था. अब सवाल उठ रहा है कि मोदी ने जिसे ‘पिंक रिवल्यूशन’ कहा था क्या वह महज एक चुनावी मुद्दा था?
पहले भी हुआ है विवाद
इससे पहले भी आज से 32 साल पहले देश भर में वनस्पति घी में बीफ टैलो होने की बात को लेकर काफी बवाल मचा था. इस मुद्दे को उस समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे विपक्षी नेताओं ने उठाया था. इन लोगों ने उस समय इस मुद्दे को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के खिलाफ एक बड़े राजनीतिक मुद्दे की तरह इस्तेमाल किया था.
जिसके बाद उग्र होते इस विवाद को लेकर उस समय इंदिरा गांधी ने टैलो इंपोर्ट को बैन कर दिया था. इसके अलावा उन्होंने सीबीआई जांच के आदेश भी दिए थे. इसे लेकर देशभर में कई गिरफ्तारियां भी हुई थीं. भारत से निर्यात किये जाने वाले भैंस के मीट को बोमइन कहा जाता है. सवाल उठता है कि मीट के निर्यात में हर साल इजाफा क्यों हो रहा है.
मीट निर्यात से जुडे लोग और व्यापारियों और जानकारों का कहना है कि लगातार बढती मांग और अच्छी गुणवता के चलते मीट निर्यात में लगातार बढोतरी हो रही है. 28 नवंबर 2014 को संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक 2011-12 के दौरान 13 हजार 741 करोड़ रुपये के मीट का कारोबार हुआ वहीं ये बढ़ कर 2012-13 में 17 हजार 409 करोड़ रुपये का हो गया. 2013-14 में पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ते हुए निर्यात 26 हजार 457 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.