वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने समलैंगिक अधिकारों का समर्थन किया है. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को धारा 377 पर फिर से समीक्षा करनी चाहिए.
नई दिल्ली. वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने समलैंगिक अधिकारों का समर्थन किया है. वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को धारा 377 पर फिर से समीक्षा करनी चाहिए.
टाइम्स लिटफेस्ट में बोलते हुए अरूण जेटली ने कहा कि मुझे लगता है कि आपको पुनर्विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायलय को गे राइट्स पर अपने 2013 के फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए और समलैंगिक सेक्स को अपराधमुक्त किया जाए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अरूण जेटली की बात का समर्थन करते हुए कहा है कि मलैंगिक अधिकारों के मसले पर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला सराहनीय था. सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले को पलटना नहीं चाहिए था.
मनीष तिवारी ने सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस मसले को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है. तिवारी ने ट्वीट कर पूछा है कि सरकार समलैंगिक संबंधों को तो अपराधमुक्त कर सकती है, लेकिन समलैंगिक शादियों के बारे में सरकार क्या सोचती है?
BJP Govt can de-criminalize Gay Sex by repealing Section 377 of IPC Its Gay Sex that’s criminal not relationships What about Gay Marriages?
— Manish Tewari (@ManishTewari) November 29, 2015
उन्होंने कहा कि ‘वित्त मंत्री यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि जब उनकी सरकार पर असहिष्णुता को लेकर सवाल उठे तो वह बता सकें कि सरकार कितनी सहिष्णु है.
क्या है मामला ?
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2009 में ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक संबंधों को सही ठहराया था, लेकिन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को खारिज कर दिया था. गे राइट्स एक्टिविस्ट चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले की दोबारा समीक्षा करे, लेकिन कोर्ट ने उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी थी.