नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज यानी 16 अगस्त को चौथी पुण्यतिथि है। इस मौके परराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इन सभी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित […]
नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज यानी 16 अगस्त को चौथी पुण्यतिथि है। इस मौके परराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। इन सभी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पूर्व पीएम अटल जी को श्रद्धांजलि दी। फिलहाल बड़े नेताओं के आने का सिलसिला अभी जारी है। बता दें 16 अगस्त, 2018 को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने ट्वीट कर लिखा कि हमारी पार्टी के पितृ पुरुष, करोड़ों कार्यकर्ताओं के पथ प्रदर्शक एवं हमारे प्रेरणा स्रोत, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि।
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने आज ‘सदैव अटल’ की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का आज चौथा पुण्यतिथि है। अटल जी तीन बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए। वाजपेयी जी का उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ करीब छह दशक से रिश्ता रहा है। वो करीब 30 साल तक यहां से सासंद चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी जी लखनऊ के खान-पान के बड़े शौकिन थे।
गौरतलब है कि 1936 में शुरू हुई राजा ठंडाई की दुकान अटल बिहारी वाजपेयी का पसंदीदा अड्डा होता था। वो दुकान आज भी चल रही है जिसको आशीष त्रिपाठी चलाते हैं उन्होंने बताया कि, “वाजपेयी जी यहां पर शाम को 4 से 5 बजे के करीब आते थे। उनके साथ में लालजी टंडन, अमृत लाल नागर, समेत इलाके के सभी वरिष्ठ लोग हुआ करते थे। विपरीत विचारधारा रखने वाले लोगों के साथ भी वाजपेयी जी की बैठकी होती थी। ये बैठकी करीब दो घंटे तक चलती थी इसमें होने वाले चर्चाओं के केंद्र में राजनीती रहती थी इसके अलावा साहित्य समेत हर मुद्दे पर बातचीत होती थी।”
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