नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने देश में स्वच्छता अभियान चलाया जिसका फायदा भी हुआ. पहले से लोग स्वच्छता के प्रति अब ज्यादा जागरूक रहते है. इसी तरह गांव की 18 महिलाओं ने गांवों को स्वच्छ रखने का बीड़ा उठाया. महिलाओं को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन उसके बावजूद उन्होंने अपने काम के प्रति अडिग रही. 18 महिलाओं को नई दिल्ली में राष्ट्रपित द्रौपदी मुर्मू और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सम्मानित किया. इन महिलाओं की कहानी काफी प्रेरित करने वाली है. इन लोगों ने घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया. गांव के लोगों ने इनकी बातों को माना और गांव को स्वस्छ बनाने में अपना योगदान दिया.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के दौरान राष्ट्रपति के हाथों अलग-अलग राज्यों के गांव में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बेहतर काम करने वाली 18 महिलाओं को सम्मानित किया गया. इन महिलाओं को अपने गांव में ताना भी सहना पड़ा. जिन महिलाओं को सम्मानित किया गया इन्होंने गांव-पंचायत को बदलने का काम किया. ये महिलाएं घर के पास शौचालय न बनाने की विकृत सोच को बदलने के लिए लंबा संर्षष किया और उसमें कामयाब हुई. लोगों को प्लास्टिक के प्रति भी जागरूक किया और बताया कि इसका कम उपयोग करे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस काम को करने में महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा. कई महिलाओं ने अपने गांव को शौच मुक्त बनाने में अपना महत्वपूर्व योगदान दिया. महिलाओं को जागरूक करने का भी काम किया.
उत्तराखंड की सरपंच ने बताया कि हर घर में शौचालय की मुहिम चलाई. सरपंच कविता ने बताया कि मैं जब गांव की सरंपच बनी 332 घरों और 1700 आबादी वाले पंचायत को खुले में शौच से मुक्ता कराया. सरंपच ने कहा कि इसकी शुरूआत बहुत कठिन थी लोग काफी ताना मारते थे लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया.
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