नोएडा। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर संज्ञान लेते हुए नोएडा के सेक्टर-93ए पर स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त किया गया था। इस टावर को ध्वस्त करने के बाद लगभग 80 हजार टन मलबा निकलने का अनुमान जताया जा रहा था. जिसे नोएडा प्रधिकरण के सेक्टर-80 पर स्थित कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन प्लांट पर भेजा गया. लेकिन […]
नोएडा। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर संज्ञान लेते हुए नोएडा के सेक्टर-93ए पर स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त किया गया था। इस टावर को ध्वस्त करने के बाद लगभग 80 हजार टन मलबा निकलने का अनुमान जताया जा रहा था. जिसे नोएडा प्रधिकरण के सेक्टर-80 पर स्थित कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन प्लांट पर भेजा गया. लेकिन इस दौरान प्रधिकरण ने मलबा लेने से मना कर दिया है। जिसके चलत लोगों को अपना जीवन इस मलबे के बीच ही बिताना पड़ रहा है।
नोडडा के सेक्रटर-93ए पर स्थित ट्विन टावर को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद ध्वस्त किया गया, जिसके बाद लगभग 80 हजार टन मलबा इकट्ठा हो गया था. सेक्टर-80 सिथ्त कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन प्लांट भेजा गया, यहाँ करीब 4500 टन मलबा ही पहुचा था कि, प्राधिकरण ने मलबा लेने से मना कर दिया क्योंकि सुपरटेक बिल्डर की ओर से प्रोसेसिंग फीस नहीं दी गई थी।
मलबा उठाने के इस कार्य में रही देरी को लेकर जहां एक ओर जनता परेशान है वहीं दूसरी ओर मलबे को कहां डाला जाएगा यह समस्या भी मुंह खोले हुए खड़ी है।
लेकिन इस मलबे की समस्या को लेक एडीफाइस एजेंसी के परियोजना निदेशक मयूर मेहता के बयान ने क्षेत्रवासियों की समस्या का समाधान निकाल दिया है। उन्होने कहा है कि, ट्विन टावर के सबसे नजदीकी दूसरी आवासीय टावर के बीच एक लगभाग नौ मीटर का पाथवे है। इस पाथवे को मलबे से भर दिया जाएगा। इसके बाद इस जगह पर एक रिटेनिंग वॉल बना दी जाएगी र बाद में सीसी रोड बनाई जाएगी। उन्हने कहा कि, इस काम मे काफी मलबे की आवश्यकता होगी और इस काम के हो जाने के बाद नाममात्र का मलबा ही बच सकता है जिसको आवश्यकता पड़ने पर दूसरी जगह पर भेजा जा सकता है।