मुंबईः महाराष्ट्र चुनाव में अब कुछ दिन ही बाकी हैं। अभी दोनों ही पक्षों ने अपने सीएम फेस को लेकर तस्वीर साफ नहीं की है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद राज्य में खेला हो सकता है। गौरतलब हो कि ढाई साल पहले शिंदे ने तख्तापलट कर और शिवसेना अपने कब्जे में लेकर उद्धव को गहरे घाव दिए थे। इतना ही नहीं उद्धव बीजेपी की चोट भी नहीं भूल पाए हैं। ऐसे में सभी घाव भूलकर उद्धव का एनडीए में शामिल होना मुश्किल है।
उद्धव ठाकरे भाजपा से मिली राजनीतिक चोट को नहीं भूले हैं। अपने साक्षात्कार में विधानसभा चुनाव के बाद नया गठबंधन बनाने के सवालों पर उन्होंने कहा, बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें कहते हैं। मैं भाजपा के साथ क्यों जाऊं? उन्होंने मेरी पार्टी को तोड़ दिया और उसे खत्म करने की साजिश रची। उद्धव ने आगे कहा कि मेरे परिवार को बदनाम किया जा रहा है। मेरे बेटे को बदनाम किया गया। मुझे नकली संतान तक कहा गया, तो क्या मोदी जी नकली संतान से हाथ मिलाएंगे?
उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे से मिली राजनीतिक चोट को अभी तक नहीं भूले हैं। 2022 में उद्धव ठाकरे का तख्तापलट करके शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। शिंदे सरकार ही नहीं, बल्कि शिवसेना भी उद्धव से छीन ली गई है। यही वजह है कि शिंदे द्वारा दिए गए जख्म अभी भी ताजा हैं। शिंदे का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता गद्दारों को सबक सिखाना जानती है और लोकसभा चुनाव में इसका ट्रेलर दिखा चुकी है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में कुछ भी हो सकता है और यहां की जनता ने उन्हें (महायुति को) हराकर दिखा दिया है। एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना उद्धव ने कहा, आज तक वे जो भी बने हैं, मेरे पिता ने उन्हें बनाया है। अगर मैं भाजपा से विश्वासघात के कारण सीएम बना हूं, तो आपने मुझे धोखा देकर क्यों हटाया? यह दुखद है।
उद्धव ठाकरे खेमा यह मानकर चल रहा है कि अगर ऑल इंडिया अलायंस चुनाव जीतता है और सत्ता में वापस आता है, तो उद्धव ठाकरे सीएम बनेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसी सवाल पर एनडीए से नाता तोड़ने वाले उद्धव ठाकरे एमवीए सरकार में किसी दूसरी पार्टी का नेतृत्व स्वीकार करेंगे। कांग्रेस भी लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में अपना सीएम बनाने के लिए सियासी जाल बुन रही है, जिसके चलते कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ सरकार बना सकते हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे ने चुनाव के बीच में ही साफ कर दिया है कि वे न तो भाजपा के साथ जाएंगे और न ही शिंदे को अपने साथ लेकर चलेंगे।
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