नई दिल्ली: आज रक्षाबंधन है और बहनों को उनकी रक्षा का वचन देने का दिन, लेकिन पूरा देश आज के दिन भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहा है कि अगर दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे शहरों में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन है ?
चंडीगढ़ में एक सीनियर आईएएस अफसर की बेटी को बीजेपी के बड़े नेता का बेटा अगवा करने की कोशिश करता है. पुलिस उसकी मदद के लिए तो आगे आती है, लेकिन केस इतनी कमजोर धाराओं में दर्ज करती है कि नेता के बेटे को फौरन जमानत मिल जाती है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक अब अपहरण की कोशिश और छेड़खानी का सबूत भी गायब है, लिहाज़ा ये सवाल बड़ा हो गया है कि क्या बीजेपी के नेता को बचा रही है चंडीगढ़ पुलिस ? महानगरों में भी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं, तो इसका जिम्मेदार कौन है ? पिछले तीन दिनों में ऐसी दो घटनाएं हुईं, जिनसे महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं.
पहली घटना चंडीगढ़ की है, जहां 4 अगस्त की आधी रात कार से अपने घर लौट रही लड़की का दो युवकों ने पीछा किया. लड़की का नाम वर्णिका कुंडू है, जो एक सीनियर आईएएस अफसर की बेटी हैं और चंडीगढ़ की मशहूर डीजे भी हैं. वर्णिका को अगवा करने वाले युवकों को पुलिस ने पकड़ा तो खुलासा हुआ कि मुख्य आरोपी विकास बराला हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष सुभाष बराला का बेटा है और दूसरा उसका दोस्त है.
दोनों को पुलिस ने पकड़ा लेकिन इतनी कमजोर धाराओं में केस दर्ज किया कि दोनों को उसी दिन जमानत मिल गई. वर्णिका कुंडू ने अपने आपको खुद की सूझ-बूझ से बचा तो लिया, लेकिन अब उनके सामने खुद को इंसाफ दिलाने की चुनौती है. चंडीगढ़ पुलिस ने बीजेपी नेता सुभाष बराला के बेटे और उसके दोस्त के साथ नरमी क्यों बरती ?
एफआईआर सिर्फ पीछा करने और शराब पीकर गाड़ी चलाने की धाराओं में क्यों दर्ज की गई ? उससे भी बड़ी बात ये कि वर्णिका कुंडू का जिन रास्तों पर आरोपियों ने पीछा किया, उस रास्ते के सभी सीसीटीवी कैमरे खराब कैसे हो गए ? इन सवालों के साथ अब इस घटना पर राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्ष का आरोप है कि पुलिस बीजेपी नेता के दबाव में है.
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