शिव ‘राज’ में किसानों का सबसे ज्यादा विकास तो आंदोलन क्यों ?

देश का वो तबका जो सबसे शांत रहता था. जो चुपचाप रहकर देश भर के लोगों का पेट भरता है. जो सियासत से दूर सिर्फ देश की तरक्की में हाथ बंटाता है वो तबका अचानक से हिंसक हो गया. हम बात कर रहे हैं किसानों की. मध्यप्रदेश के किसानों की.

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शिव ‘राज’ में किसानों का सबसे ज्यादा विकास तो आंदोलन क्यों ?

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  • June 7, 2017 2:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: देश का वो तबका जो सबसे शांत रहता था. जो चुपचाप रहकर देश भर के लोगों का पेट भरता है. जो सियासत से दूर सिर्फ देश की तरक्की में हाथ बंटाता है वो तबका अचानक से हिंसक हो गया. हम बात कर रहे हैं किसानों की. मध्यप्रदेश के किसानों की.
 
उस प्रदेश के किसानों की जहां का कृषि विकास दर सबसे ज्यादा है. देश में कृषि विकास दर 4.4 फीसदी है जबकि मध्यप्रदेश का कृषि विकास दर 20 फीसदी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने मध्यप्रदेश में किसानों के विकास के लिए सरकार के कामों की सराहना की गई है. फिर ऐसा क्या हो गया कि मध्यप्रदेश के किसान हिंसक हो गए.
 
म्ध्य प्रदेश में किसानों का आंदोलन हिंसक होता जा रहा है और आज मंदसौर में लोगों ने जिला कलेक्टर को भी पीट दिया. मध्य प्रदेश में हालात बेकाबू से होते जा रहे हैं, बावजूद इसके कि खुद मुख्यमंत्री किसानों से कह रहे हैं कि आप शांति बनाए रखें- बातचीत के लिये मैं 24घंटे हाजिर हूं. 
 
एक बेहद जरुरी बात पर गौर कीजिएगा कि  देश में कृषि विकास दर 4.4 फीसदी है, जबकि मध्यप्रदेश में 20 फीसदी यानी कृषि विकास में देश के सभी राज्यों से कही आगे हैं मध्यप्रदेश. पिछले 12 साल से सूबे के सीएम शिवराज सिंह चौहान के शासन में प्रदेश में कृषि का विकास अभूतपूर्व रहा है.
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम शिवराज सिंह की कृषि विकास पर तारीफ की है, इसके वाबजूद शिवराज सिंह के शासन में किसान नाराज क्यों हैं- आखिर क्या कारण है जो प्रदेश के किसान हिंसक हो गए है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना की पीछे कांग्रेस का हाथ बताया है. 
 
शिवराज ने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही मारे गए 5 किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा और परिवपार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है.
 
क्या है किसानों की मांगें ?
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों
सभी कृषि मंडियों में केंद्र सरकार के घोषित समर्थन मूल्य से नीचे फसलों की बिक्री न हो
आलू, प्याज और अन्य सभी फसलों का समर्थन मूल्य घोषित हो
आलू और प्याज का समर्थन मूल्य 1,500 रुपये प्रति क्विंटल हो
किसानों के कृषि ऋण माफ हो
फसल के लिए मिलने वाला कृषि ऋण की सीमा 10 लाख रुपये की जाए
भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बरकरार रखा जाए
एमपी में दूध का भाव तय करने का अधिकार किसानों को मिले
दूध का भाव 52 रुपये/ लीटर हो
डॉलर काबुली चना का बीज प्रमाणित कर उसका समर्थन मूल्य घोषित किया जाए, डॉलर काबुली चना भारत में सिर्फ एमपी में ही होता है
खाद, बीज और कीटनाशकों की कीमतें नियंत्रित हों
1 जून से जारी किसानों के आंदोलन के दौरान गिरफ्तार सभी किसानों को बिना शर्त रिहा किया जाए
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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