नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के हमले में शहीद हुए 25 जवानों का मातम पूरे हिंदुस्तान में पसरा है. देश के गृह मंत्री ने इसे कोल्ड ब्लडेड मर्डर यानी सोची-समझी हत्या बताया है. शहीद जवानों के घर से लेकर देश के कोने-कोने से एक ही आवाज़ गूंज रही है कि अब नक्सलियों का खूनी खेल बर्दाश्त नहीं है.
आखिर नक्सलियों के हाथों कब तक मारे जाएंगे जवान ? कैसे खत्म होगा देश में लाल आतंक का जंगल राज, जो पश्चिम बंगाल से महाराष्ट्र तक फैला है. आज इसी मुद्दे पर होगी बड़ी बहस, लेकिन पहले इस वक्त की छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को दिन दहाड़े नक्सलियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ की टुकड़ी पर हमला किया था, जिसमें 25 जवान शहीद हो गए.
पिछले सात साल में नक्सली हिंसा की इस सबसे बड़ी वारदात ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया है.गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज रायपुर जाकर नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी.छत्तीसगढ़ पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने सुकमा समेत बस्तर के कई इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान भी शुरू कर दिया है.
नक्सली हमले में मारे गए जवानों के घर वाले मातम में डूबे हुए हैं. पूरा देश गुस्से में है और ये मांग भी तेज़ हो गई है कि जवानों के बलिदान का बदला लिया जाए. ये घटना केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के लिए भी चिंताजनक है. अब तक नक्सली गांव वालों को ढाल की तरह इस्तेमाल करते थे, लेकिन इस बार नक्सलियों ने गांव वालों को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया.
हमले में ज़ख्मी हुए जवानों के मुताबिक, नक्सलियों ने पहले गांव वालों को चरवाहों के रूप में भेजकर उनकी लोकेशन पता की और फिर घेरकर रॉकेट लॉन्चर और गोलियां दागनी शुरू कर दीं. नक्सलियों में महिलाओं की संख्या भी बहुत ज्यादा थी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने वादा किया है कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
गृह मंत्रालय ने 8 मई को नक्सलियों और माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है.गृह मंत्री ने कहा है कि ज़रूरत पड़ी तो नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की रणनीति में बदलाव भी किया जाएगा.