नई दिल्ली : राजनीति शुरू करते समय अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वो सरकारी बंगला और गाड़ी नहीं लेंगे, लेकिन अब उन पर अपने चहेतों को पद, पैसा और बंगले बांटने का गंभीर आरोप लगा है.
शुंगलू कमेटी की 101 पन्नों की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अब आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की साख सवालों में घिरी है. अरविंद केजरीवाल ने जब अन्ना हजारे का साथ छोड़ा और राजनीतिक पार्टी बनाई, तब अन्ना ने कहा था कि केजरीवाल भी सत्ता से पैसा, पैसे से सत्ता के दुष्चक्र में फंस गए हैं.
हालांकि तब अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वो गाड़ी-बंगले के मोह में राजनीति करने नहीं आए हैं, बल्कि राजनीति बदलने आए हैं, लेकिन दिल्ली में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के दो साल बाद केजरीवाल की साख सवालों में घिर गई है.
केजरीवाल सरकार के कामकाज और मनमाने फैसलों की जांच के लिए गठित शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट सामने आ चुकी है. 101 पन्नों की इस रिपोर्ट का एक लाइन में मतलब यही है कि केजरीवाल सिर्फ अपनों को पद, पैसे और सरकारी आवासों की रेवड़ियां बांट रहे थे, जिसके लिए उन्होंने संविधान, कानून और नियमों को ताक पर रख दिया.
क्या अपनों को रेवड़ियां बांट रहे थे केजरीवाल? सरकार चलाने के नाम पर केजरीवाल संविधान और नियम-कानूनों की धज्जियां क्यों उड़ा रहे थे? आज इसी मुद्दे पर है बड़ी बहस.