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आपसी सहमति से क्यों नहीं बन सकता अयोध्या में राम मंदिर ?

अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद की ज़मीन का विवाद पिछले 6 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. विवाद इस बात पर है कि विवादित ढांचे वाली ज़मीन पर मालिकाना हक किसका है. रामलला विराजमान का, सीता रसोई पर दावा करने वाले निर्मोही अखाड़े का या फिर बाबरी मस्जिद यानी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का.

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  • March 22, 2017 5:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद की ज़मीन का विवाद पिछले 6 साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. विवाद इस बात पर है कि विवादित ढांचे वाली ज़मीन पर मालिकाना हक किसका है. रामलला विराजमान का, सीता रसोई पर दावा करने वाले निर्मोही अखाड़े का या फिर बाबरी मस्जिद यानी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का. 
 
एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आई कि मंदिर और मस्जिद के कानूनी विवाद से जुड़े सभी पक्ष आपस में मिल-बैठ कर बात करके रास्ता निकाल ले. जरूरत पड़ी तो जज इस मुद्दे पर मध्यस्थता को भी तैयार है लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी के ताजा बयान ने इस बहस को और तेज कर दिया. स्वामी ने कहा है कि अगर आपसी सहमति से ये विवाद नहीं सुलझा तो 2018 में कानून बनाकर राम मंदिर बनाया जाएगा.
 
इस बयान के बाद मुद्दा गर्मा गया है लेकिन बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी कह चुके है कि समझौते से हल नहीं निकलेगा. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सीधे दखल दें, तो हो सकता है कुछ बात बन जाए. सवाल है ऐसा क्यों. क्या आपसी रजामंदी से राम मंदिर का मुद्दा हल नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट का प्रस्ताव मानने में आखिर हर्ज क्यों है और कहां दिक्कतें है. इसी मुद्दे पर होगी बड़ी बहस.
 
(वीडियो में देखें पूरा शो)

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