नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप कांड में नाबालिग की रिहाई के बाद से ही निर्भया के माता-पिता और देश के ज्यादातर लोग चाहते थे कि संसद नाबालिगों के कानून में बदलाव करे. लोकसभा इस बारे में पहले ही बिल पास कर चुकी थी, लेकिन राज्यसभा में ये बिल अटका हुआ था.
आज सरकार की ओर से निर्भया के माता-पिता को संसद बुलाया गया. उनकी मौजूदगी में राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पर बहस शुरू हुई. बीएसपी, सीपीएम, जेडीयू जैसी पार्टियों को एतराज़ था कि नाबालिगों को सुधारने की बजाय बालिगों की तरह मुकदमा चलाने से दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.
सीपीएम चाहती थी कि जघन्य अपराधों में नाबालिगों की उम्र घटाने वाला बिल सेलेक्ट कमेटी को सौंपा जाए, लेकिन तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के समर्थन से वो बिल पास हो गया, जिसे महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने देश का कानून बताया.
राज्यसभा में ये बिल पास हो गया, लेकिन ये सवाल कायम है कि क्या जघन्य मामलों में 16 साल तक के नाबालिगों के साथ बालिग अपराधियों जैसा सलूक होना चाहिए.
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