नई दिल्ली: हींग का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है, कई समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है. जिस भी खाने में हींग जाता है वह स्वादिष्ट होने के अलावा स्वास्थ्यकर भी हो जाता है. फिर चाहे वह गोलगप्पे या शाही पनीर क्यों ना हो, आज हम हींग से जुड़ी कई जानकारियां यहां […]
नई दिल्ली: हींग का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है, कई समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है. जिस भी खाने में हींग जाता है वह स्वादिष्ट होने के अलावा स्वास्थ्यकर भी हो जाता है. फिर चाहे वह गोलगप्पे या शाही पनीर क्यों ना हो, आज हम हींग से जुड़ी कई जानकारियां यहां लेकर आए हैं.
हींग के पौधे को देखने पर सरसों के पौधे की तरह लगता है, जिस हींग का हम अपने खाने में प्रयोग करते हैं वह पौधे की जड़ से बनती है. एक प्रोसेस के माध्याम से इसकी जड़ से हींग तैयार की जाती है. पौधे की जड़ के रस से तैयार होने वाली हींग की दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है.
हींग का उपयोग शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे बताने की आवश्यकता हो. खाने में तड़का लगाने के लिए हींग का उपयोग होता है. यही नहीं कई बार जलजीरा आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है. गोलगप्पे का पानी बनाने के लिए भी हींग का प्रयोग किया जाता है.
हींग के इतने लाभ होते है कि यह भारत में लगभग हर घर में उपयोग होती है, सबसे पहले बात करें तो हिचकी, डकार और उल्टी आदी होने पर केले के गूदे में थोड़ी सी हींग रखकर खाने से राहत मिलता है. इनके अलावा जिन लोगों की याददाश्त कमजोर होती है उन्हें 10 ग्राम भूनी हुई हींग, 20 ग्राम काला नमक, 80 ग्राम बायबडंग पीसकर लें, फिर नियमित तौर पर गर्म पानी के साथ थोड़ा-थोड़ा फांकें, इससे याददाश्त में सुधार होगा.
हींग के बीज मिलना इतना आसान नहीं होता है. सरकार की मदद से ही नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट एंड जेनेटिक विभाग से संपर्क करने के बाद ही हींग मिल के बीज मिल सकते हैं. भारत में हींग की खेती 3-4 प्रजातियों की होती है.
हींग की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि उसे बनाने के लिए स्टार्च के तौर पर क्या प्रयोग किया गया है. हींग का बाजार भाव 35-40 हजार रुपये प्रति kg से शुरू होता है, समय समय पर और महंगा भी हो सकता है.