World Mosquito Day 2024: डेंगू, मलेरिया या फिर चिकनगुनिया क्या है ज्यादा खतरनाक, अब तक हुई कितनी मौतें

नई दिल्ली: हर साल 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान मच्छरों द्वारा फैलने वाली खतरनाक बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है। ये मच्छर जो दिखने में भले ही छोटे होते हैं, डेंगू, मलेरिया, और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इन बीमारियों का सही […]

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World Mosquito Day 2024: डेंगू, मलेरिया या फिर चिकनगुनिया क्या है ज्यादा खतरनाक, अब तक हुई कितनी मौतें

Yashika Jandwani

  • August 20, 2024 6:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: हर साल 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान मच्छरों द्वारा फैलने वाली खतरनाक बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है। ये मच्छर जो दिखने में भले ही छोटे होते हैं, डेंगू, मलेरिया, और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इन बीमारियों का सही समय पर इलाज न हो तो जानलेवा साबित हो सकती हैं।

‘एडीज एजिप्टी’ मच्छर

‘एडीज एजिप्टी’ मच्छर के काटने से डेंगू और चिकनगुनिया दोनों बीमारियां फैलती हैं। भारत में 1963 में पहला चिकनगुनिया से संक्रामक व्यक्ति दर्ज किया गया था, और तब से लेकर अब तक देश में इसके कई बड़े प्रकोप हो चुके हैं। 2006 में दिल्ली में डेंगू से संक्रामक के दौरान, कुछ मरीजों में चिकनगुनिया वायरस भी पाया गया था। ये दोनों बीमारियां एक ही मच्छर के काटने से फैलती हैं, जिससे इनका प्रकोप और भी खतरनाक हो जाता है।

एडीज एजिप्टी

मलेरिया के 33.8 लाख मामले

मलेरिया, जो की एक और घातक बीमारी है, मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारियों से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। भारत में हर साल मलेरिया से लगभग 1,000 मौतें दर्ज होती हैं, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। 2022 में, भारत में मलेरिया के मामलों और मृत्यु दर में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 30% और 34% की गिरावट आई थी। हालांकि, 2022 में मलेरिया से 5,511 मौतें और 33.8 लाख मामले सामने आए थे।

malaria

जागरूकता और रोकथाम

डेंगू भारत के कई हिस्सों में फैला है और इससे जुड़ी महामारी की खबरें अक्सर सामने आती हैं। डेंगू बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम के मामलों में मृत्यु दर 44% तक पहुंच सकती है, जिससे यह बीमारी भी बेहद खतरनाक है। इन बीमारियों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता और रोकथाम के उपाय बेहद जरूरी हैं।

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