दिल्ली. आज दुनिया भर में वर्ल्ड बाइसिकिल डे मनाया जा रहा है. अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र आमसभा ने 3 जून को अंतर्राष्ट्रीय साइकिल दिवस के तौर पर घोषित किया था. नरेंद्र मोदी कैबिनेट के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन आज साइकिल चलाते हुए संसद पहुंचे. वर्ल्ड साइकिल डे मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य पर्यावरण फ्रेंडली यातायात के साधनों को बढ़ावा देना है. साइकिल की यात्रा पर्यावरण और चलाने वाले दोनों की सेहत के लिए बेहतर है. साईकिल डे पर जानते हैं भारत में क्या है साइकिलिंग की हालत.
भारत में साइकिल हमेशा से आम लोगों का साधन रहा है. लेकिन देश की राजधानी की सड़कों पर साइकिल सवारों के लिए जगह घटती गई है. दिल्ली में कई साइकिल ट्रैक बने हैं लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से एक भी पूरी तरह एक्टिव नहीं है. कोई साइकिल ट्रैक किसी बस स्टैंड पर खत्म होता है तो कोई अचानक मुख्य सड़क से जा मिलता है. अधिकांश साइकिल ट्रैक पर बाइक या अन्य वाहन दौड़ते मिलेंगे. दिल्ली की प्रदूषण की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक दिल्ली की समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है. सरकारें रस्मअदायगी की तरह प्रयास करते हुए दिखना भर चाहती हैं. नागरिक भी अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं. प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली को गाड़ियों के गोदाम बनने से रोकना होगा. दिल्ली की हर सड़क, हर गली में महीनों, सालों से चौपहिया वाहन खड़े हैं. बिना पार्किंग की अनुमति के दिल्ली में खड़ी लाखों गाड़ियों ने सड़कों को साइकिल सवारों के लिए और खतरनाक बना दिया है.
साईकिल से दफ्तर पहुंचे हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन
‘ट्रैक’ पर नहीं हैं दिल्ली के साईकिल ट्रैक
साइकिल ट्रैक एक्टिव न होने की वजह से साइकिल सवारों को मुख्य सड़क पर ही साइकिल चलानी होती है. ऐसे में किसी तेज गति से आ रहे वाहन से उन्हें खतरा बना रहता है. दिल्ली में अब दो ही किस्म के लोग साइकिल चलाते हैं. एक तो वो तबका जो गरीब है और जिसके पास साधन के रूप में साइकिल ही है. ऐसे बहुत से कामगार लोग रोजाना साइकिल से ही अपने कार्यस्थल पहुंचते हैं. दूसरे वो हैं जो शौकिया तौर पर साइकिल चलाते हैं. ऐसे कई ग्रुप बने हुए हैं दिल्ली-एनसीआर में जो संडे को साइकिलिंग करते हैं. पूरा मध्य वर्ग और बच्चे भी साइकिल से दूर हो चुके हैं. किशोरों के लगातार बढ़ते दुर्घटना के मामलों के बावजूद मां-बाप अपने बच्चों को स्कूटी, बाइक या कार चलाने की अनुमति दे देते हैं जबकि बच्चे का काम साइकिल से भी चल जाता.
विकसित देशों में शान की सवारी है साईकिल
भारत में साइकिल की एक परिवहन के साधन के तौर पर स्थिति भले ही बहुत अच्छी न हो लेकिन दुनिया के तमाम बड़े और विकसित शहरों में साइकिल कल्चर मौजूद है. दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले शहर, जापान की राजधानी टोक्यो का ही उदाहरण लीजिए. टोक्यो में साइकिल सवारों के लिए अलग से साइकिल ट्रैक है. साइकिल तय जगह से किराए पर लेने और छोड़ने की व्यवस्था है. पर्यावरण के लिहाज से भी साइकिलिंग को बढ़ावा देना जरूरी है. हॉलैंड को दुनिया भर में साइकलिंग नेशन के तौर पर जाना जाता है.
दिल्ली के पॉल्यूशन का सॉल्यूशन है साइकिल
विदेशों में राष्ट्रअध्यक्ष भी साइकिल चलाने से गुरेज नहीं करते लेकिन भारत में स्थिति ऐसी नहीं है. दिल्ली जैसे शहर में जो प्रदूषण के कारण रोजाना मर रहा है, वहां भी साइकिल सवारों के लिए न तो सोचा गया और न ही नये साइकिल सवारों की फौज तैयार करने की कोई योजना है. निश्चित तौर पर साइकिल के सफर को आसान और सुरक्षित बनाना सरकार की जिम्मेदारी है. उम्मीद है वर्ल्ड साइकिल डे पर सिर्फ सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा नहीं होंगी बल्कि हमारे नेता दिल्ली को एक साइकिल फ्रेंडली शहर बनाने की दिशा में भी प्रयास करेंगे. दिल्ली के पॉल्यूशन का सॉल्यूशन है साइकिल.
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