कोरोना में बिगड़ा वर्क-लाइफ बैलेंस , एक तिहाई लोगों ने किया 35 घंटे कम काम

नई दिल्ली। सुबह 9 से शाम 5 बजे तक यानी 8 घंटे का काम सामान्य रूटीन माना जाता है। लेकिन बता दें , दुनिया की करीब एक तिहाई कामकाजी आबादी के लिए ऐसा नहीं है। इंटरनेशनल श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है कि लोग कोरोना काल से काफी प्रभावित हुए है। इस महामारी के चलते लोगों ने 48 में से 35 घंटे से भी कम काम किया है , जोकि सामान्य समय से कम है और लोग अब इस नियम के आदि भी हो गए है। कोरोना से पहले लोगो का वर्क कल्चर कुछ और हुआ करता था और अब कुछ और है। कोरोना काल में कई लोगों ने वर्क फ्रॉम होम भी अपना वर्क कल्चर बनाया था।

रिपोर्ट में हुआ खुलासा

बता दें , शुक्रवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक , ‘कोरोना महामारी से पहले पूरी दुनिया में काम के घंटे औसतन 43.9 प्रति हफ्ते हुआ करते थे।जानकारी के अनुसार ये करीब-करीब आदर्श स्थिति है, हालांकि करीब एक तिहाई लोगों ने हर हफ्ते 48 घंटे से ज्यादा का काम किया। तो वहीं दूसरी तरफ करीब 20% ने हर हफ्ते 35 घंटे से भी कम का काम किया है ।

कोरोना में काम के लिए लगा ज़्यादा वक़्त

गौरतलब है कि , दुनिया के कई देशों ने अपना वर्क कल्चर बदला है। तो कहीं पर 4 दिन का वर्क वीक तो कहीं 5 दिन का वर्क वीक का कल्चर अब कर दिया गया है। एक रिपोर्ट में सामने आया कि महामारी में लंबे समय तक काम के घंटे थोड़े कम हो गए है । बता दें , कम काम करने के घंटे कुछ हद तक बढ़ गए, हालंकि 2020 के अंत तक हालात करीब-करीब प्री-कोविड की स्थिति जैस हो गए थे । इसके अलावा कोरोना के कारण अधिकांश देशों में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर भी अपनाया गया था, जो आज भी कई जगह पर जारी है।

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