मुगल के हरम में अधिकतर महिलाएं विदेश से लाई जाती थीं. इनमें अफ़्रीकी किन्नर और उज़्बेकिस्तान की महिलाएं भी शामिल थीं.जानिए हरम से जुड़े दिलचस्प बाते.
नई दिल्ली: मुगल हरम की कहानियां दुनिया के कई देशों तक पहुंचीं। हरम में आखिर होता क्या है, यह जानने की चाहत कई विदेशियों को भारत खींच लाई. इसकी शुरुआत तो बाबर के समय में ही हो गई थी, लेकिन हरम को विस्तार देने का काम अकबर के कार्यकाल में हुआ. अकबरनामा लिखने वाले अबु फजल के अनुसार अकबर के हरम में लगभग 5 हजार से ज्यादा महिलाएं थीं. जिनमें कई दासियां ऐसी थी जो दुनियां के अलग- अलग देशों से लाई जाती थी.
दिलचस्प बात यह है कि मुगल बादशाह के अलावा हरम में किसी अन्य पुरुष का प्रवेश वर्जित था. परंतु हरम में केवल दो बाहरी लोगों को एंट्री मिल सकता था. एक विदेश यात्री मनूची और फ्रांसीसी चिकित्सक फ्रांस्वा बर्नियर को. इन्होंने अपने संस्मरणों में मुगल हरम के कई रहस्यों का खुलासा किया था.
मुगल हरम से निकलने वाली हर चीज सल्तनत में चर्चा का विषय बन जाती थी. दिलचस्प बात यह है कि इसकी सुरक्षा के लिए महिलाएं तैनात रहती थीं. हरम में महिलाएं ही तय करती थीं कि कहां और कितनी सुरक्षा होगी. सुरक्षा की तीन परतें होती थीं. सुरक्षा की पहली पंक्ति के लिए भारी-भरकम और मजबूत शरीर वाली महिलाएं को रखा जाता था. इन महिलाओं के हाथों में धनुष और भाले नजर आते थे. बता दें इन महिलाओं को हरम की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती थी. खासतौर पर इन महिलाओं को उज्बेकिस्तान की उन्हें ऐसी जगह से लाया गया था जहां की महिलाओं प्रशिक्षण में अव्वल होती थीं. वह पल भर में दुश्मन को परास्त करने में माहिर होती थी. उनके हमले से बच पाना मुश्किल होता था.
हरम में सुरक्षा की दूसरी पंक्ति में हिजड़े शामिल थे. हरम की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए और साजिशों पर नज़र रखना हिजड़ों का काम था. ज़्यादातर हिजड़े अफ़्रीकी और एशियाई नस्ल के होते थे. इन हिजड़ो को बचपन से घर से निकाल दिया जाता था. या फिर उन्हें तुर्की और उत्तरी अफ्रीका के राजाओं को तोहफे में मिले होते थे.
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