नई दिल्ली : पनौती शब्द का मतलब ज़्यादातर लोग नहीं जानते, लेकिन जब हमारा कोई काम नहीं बनता तो हम अक्सर पनौती शब्द का इस्तेमाल करने लगते हैं. यानी कि हम इस शब्द का इस्तेमाल बुरी किस्मत के लिए करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पनौती शब्द शनि से जुड़ा है. आइए जानते […]
नई दिल्ली : पनौती शब्द का मतलब ज़्यादातर लोग नहीं जानते, लेकिन जब हमारा कोई काम नहीं बनता तो हम अक्सर पनौती शब्द का इस्तेमाल करने लगते हैं. यानी कि हम इस शब्द का इस्तेमाल बुरी किस्मत के लिए करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पनौती शब्द शनि से जुड़ा है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।
पनौती शब्द ज्योतिष शास्त्र से अलग तरह से जुड़ा है. ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती के बारे में सभी जानते हैं. जब शनि किसी राशि में होते हैं तो उससे अगली और पिछली राशि पर साढ़ेसाती का असर रहता है. शनि एक राशि में करीब 2.5 साल तक रहते हैं, इसलिए जब किसी व्यक्ति की साढ़ेसाती शुरू होती है तो उस राशि पर करीब 7 साल तक साढ़ेसाती का असर रहता है.
शनि (शनि देव) की साढ़ेसाती को पनौती कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि जब शनि की साढ़ेसाती किसी पर पड़ती है तो उस व्यक्ति का बुरा समय शुरू हो जाता है. जानकारी के लिए बता दें कि पनौती दो तरह की होती है, छोटी और बड़ी। सरल शब्दों में साढ़ेसाती को बड़ी चुनौती कहा जाता है। वहीं शनि की ढैय्या व्यक्ति की जन्म राशि से चौथे और आठवें भाव में शनि के आने से होती है तो इसे छोटी पनौती कहते हैं।
शनिदेव की साढ़ेसाती या पनौती को हमेशा अशुभ नहीं माना जाता है। शनिदेव ने भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को नौ ग्रहों का न्यायाधीश बना दिया था। इसलिए जब शनि की दशा और शनि गोचर आता है तो शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार दंड या पुरस्कार देते हैं। इसलिए शनि की साढ़ेसाती को अशुभ शकुन कहना गलत है।
भद्रा शनिदेव की बहन हैं। ब्रह्मा जी ने तीनों लोकों में भद्रा का समय निर्धारित किया है। भद्रा के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है क्योंकि भद्रा के दौरान किए गए कार्य का परिणाम बुरा होता है।
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