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सर्दियों में क्यों झेलना पड़ता है विंटर ब्लूज की मार

नई दिल्ली : मौसम बदलने के साथ ही शरीर भी संवेदशनशील हो जाता है। जिसमें सर्दी, बुखार जैसी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं, लेकिन सर्दियां शुरू होते ही कुछ लोगों का मूड स्विंग होने लगता है। उदास महसूस करना, बिना वजह चिड़चिड़ा हो जाना। सर्दियों का मौसम बदलते ही मूड खराब होने […]

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Winter Blues-inkhabar
  • November 5, 2024 11:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली : मौसम बदलने के साथ ही शरीर भी संवेदशनशील हो जाता है। जिसमें सर्दी, बुखार जैसी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं, लेकिन सर्दियां शुरू होते ही कुछ लोगों का मूड स्विंग होने लगता है। उदास महसूस करना, बिना वजह चिड़चिड़ा हो जाना। सर्दियों का मौसम बदलते ही मूड खराब होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

बारिश का मौसम खत्म होने के बाद जब मौसम में गिरावट आती है और धीरे-धीरे सर्दियों जैसा समय बढ़ता है, तो कुछ लोगों को शरीर में कमजोरी और उदास रहने जैसी समस्याएं होती हैं और मौसम गर्म होते ही यह ठीक भी हो जाती हैं। मूड बदलने की इस स्थिति को विंटर ब्लूज कहते हैं।

विंटर ब्लूज क्या है

‘विंटर ब्लूज’ के कारण उदास रहना और शरीर में ऊर्जा की कमी होना, आलस महसूस होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। ये एक तरह के डिप्रेशन के लक्षण हैं। ये लक्षण कुछ ही लोगों में लंबे समय तक रहते हैं। इसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और उसी के अनुसार दिनचर्या में बदलाव करना चाहिए।

क्या हैं लक्षण?

‘विंटर ब्लूज’ में कम नींद आने या बहुत ज्यादा नींद आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, ज़्यादा बात करने का मन न करना, बहुत कमज़ोर महसूस करना, वज़न में बदलाव, भूख न लगना, कमज़ोरी महसूस होना आदि लक्षण देखे जा सकते हैं।

‘विंटर ब्लूज़’ की समस्या धूप न मिलने के कारण भी हो सकती है। इससे बचने के लिए प्राकृतिक विटामिन डी लेना शुरू करें यानी रोज़ सुबह थोड़ी धूप लें।

शरीर में एनर्जी बूस्ट रखेंगे तो मूड भी अच्छा रहेगा, इसलिए प्रोटीन, फाइबर से भरपूर नाश्ता करें, जैसे दलिया, अंडा, ओट्स, नट्स, बीज आदि।

सुबह उठने के बाद रोज़ाना कुछ देर मेडिटेशन और प्राणायाम करें, इसके अलावा कुछ देर टहलें या घर पर ही वर्कआउट करें।

अगर आप सुबह एनर्जेटिक रहना चाहते हैं तो रात को हल्का खाना खाएं, रात को 7 से 8 बजे तक डिनर करें और थोड़ी देर टहलने के बाद ही बिस्तर पर जाएं।

अगर दिनचर्या में बदलाव न करने के बाद भी मूड ठीक न हो तो इसके लिए किसी विशेषज्ञ से मिलकर काउंसलिंग करवा सकते हैं।

 

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