नई दिल्ली: WHO ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया कि चीनी और नमक में माइक्रोप्लास्टिक होते हैं, जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसके बावजूद, भारतीयों में चीनी का सेवन कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। खासकर शहरों में रहने वाले लोग मिठाइयों और मीठे खाने के प्रति बेहद आकर्षित हो रहे हैं।
हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, शहरों में रहने वाले 2 में से 1 व्यक्ति हर हफ्ते मिठाइयां, बेकरी प्रोडक्ट्स, चॉकलेट और बिस्कुट खा रहा है। 2023 में जहां 41% शहरी परिवार महीने में कई बार पारंपरिक मिठाइयां खाते थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 51% तक पहुंच गया है। सर्वे में पाया गया कि 56% शहरी परिवार हर महीने 3 से अधिक बार केक, आइसक्रीम, चॉकलेट और अन्य मीठे प्रोडक्ट्स का सेवन कर रहे हैं।
भारत में चीनी की खपत तेजी से बढ़ी है। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) के अनुसार, भारत में हर साल चीनी की खपत लगभग 29 मिलियन टन तक पहुंच गई है। 2019-20 से चीनी की खपत लगातार बढ़ रही है। खासकर भारतीय मिठाइयों और आइसक्रीम में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा हो गई है। इसके बावजूद, बिना चीनी वाले उत्पादों का बाजार भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
अब बाजार में कई ऐसे प्रोडक्ट्स आ चुके हैं, जिनमें खजूर, अंजीर और गुड़ की नैचुरल चीनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, ज्यादातर ब्रांड्स ने अपने नियमित प्रोडक्ट्स का कम चीनी वाला वर्जन अभी तक नहीं लॉन्च किया है। सर्वे में उपभोक्ताओं ने यह भी कहा कि पारंपरिक मिठाइयों, चॉकलेट और आइसक्रीम में चीनी की मात्रा अपेक्षा से अधिक होती है।
2024 में लोकलसर्किल्स के एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि भारतीय परिवारों में पारंपरिक मिठाइयों की खपत बढ़ी है। 51% शहरी परिवार महीने में 3 या उससे ज्यादा बार पारंपरिक मिठाइयां खा रहे हैं। यह प्रतिशत 2023 में 41% था, जो 2024 में बढ़कर 51% हो गया है।
भले ही मिठाई खाना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन इसे सीमित करना सेहत के लिए जरूरी है। खासतौर पर WHO की चेतावनी को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
नोट: यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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