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क्या होता है डोपिंग टेस्ट, क्यों ओलंपिक्स से पहले खिलाड़ियों को करवाना पड़ता है ये?

नई दिल्ली: पेरिस में इस वक्त ओलंपिक्स की धूम है, भारत की मनु भाकर ने देश के नाम एक मेडल भी जीत लिया है। पर सभी खिलाड़ियों को ओलंपिक में जाने से पहले डोपिंग टेस्ट करवाना पड़ता है। जानिए क्या है ये टेस्ट और क्यों जरूरी है? ओलंपिक 2024 की पूरी दुनिया में चर्चा हो […]

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inkhbar News
  • July 30, 2024 1:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली: पेरिस में इस वक्त ओलंपिक्स की धूम है, भारत की मनु भाकर ने देश के नाम एक मेडल भी जीत लिया है। पर सभी खिलाड़ियों को ओलंपिक में जाने से पहले डोपिंग टेस्ट करवाना पड़ता है। जानिए क्या है ये टेस्ट और क्यों जरूरी है?

ओलंपिक 2024 की पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। भारत भी इस प्रतियोगिता का एक बड़ा हिस्सा है। भारतीय शूटर मनु भाकर ने निशानेबाजी में कांस्य पदक जीत देश का नाम ऊंचा किया। आपने डोपिंग टेस्ट का नाम तो सुना ही होगा, जानिए क्या है ये टेस्ट और क्यों जरूरी होता है करवाना।

ओलंपिक में डोपिंग टेस्ट क्या है

सबसे पहले यह बात जान लें कि ओलंपिक में भाग लें रहे सभी एथलीट्स को डोपिंग टेस्ट करवाना अनिवार्य होता है। ओलंपिक 2024 की शुरुआत में ही इराक का एक जूडो खिलाड़ी इस टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया है। जिसके बाद से डोपिंग टेस्ट ने तूल पकड़ ली, वो प्लेयर एनाबॉलिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल करता था। इस प्लेयर का नाम सज्जाद सेहेन है जो 28 साल का है जिसका टेस्ट आईटीए द्वारा किया गया था। सवाल ये उठता है कि यह टेस्ट है क्या?

अगर इसे आसान भाषा में समझे तो खिलाड़ी ऐसी दवाओं का सेवन करता है जो उनके खेल के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने में मदद करता है, डोपिंग इंजेक्शन, दवाओं, स्टेरॉयड के जरिए होती है। यह टेस्ट 5 अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित है, स्टेरॉयड, पेप्टाइड हार्मोन, नारकोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग।

कैसे होता है यह टेस्ट

इस टेस्ट की जांच कभी भी की जा सकती है, खिलाड़ी को इस टेस्ट के लिए अथॉरिटी किसी भी समय कह सकती है और खिलाड़ी भी इस बात पर मनाही नहीं कर सकता है। यह टेस्ट नाडा और वाडा दोनों की ओर से या कई मामलों में दोनों की ओर से किया जा सकता है। इस टेस्ट के लिए खिलाड़ी का यूरिन का सैंपल लिया जाता है। टेस्ट के लिए यूरिन सैंपल सिर्फ एकबार ही कलेक्ट किया जा सकता है। यह टेस्ट दो चरणों में होता है अगर खिलाड़ी पहले टेस्ट में ही पॉजिटिव निकल आता है तो उस पर बैन लगा दिया जाता है। पहले चरण में फेल होने के बाद दूसरे चरण का टेस्ट नहीं होता है। एथलीट चाहे तो दूसरे चरण के टेस्ट के लिए पैनल से बात कर सकता है, अगर दूसरे चरण में भी फेल हो तो खिलाड़ी पर प्रतिबंध जारी रहता है।

यह टेस्ट NADA और WADA दो टेस्टिंग एजेंसी अपनी स्पेशल लैब्स में करती हैं। नाडा की लैब दिल्ली में है और वाडा की लैब्स दुनिया में कई जगहों पर बनाई गई है।

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