नई दिल्ली: स्ट्रेस और तनाव होना कोई नई समस्या नहीं रह गई है, अब ये दिक्कत हर किसी को होने लगी है। इस कड़ी में एक नया शब्द जुड़ने लगा है डिजिटल आई स्ट्रेन, क्या है ये और कैसे होता है, जानिए।
दुनिया मॉडर्न और डिजिटल हो गई है, यहां कोई भी काम बिना टेक्नोलॉजी के करना मुश्किल हो गया है। हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन है, कंप्यूटर या लैपटॉप का इस्तेमाल काम और पढ़ाई दोनों के लिए किया जाता है। इन सभी चीजों की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से आंखों पर गहरा असर पड़ता है। इससे आंखों में स्ट्रेन आता है जिसे आई स्ट्रेन कहते हैं।
लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने या देखने से आंखों में थकान और दर्द होने लगता है। कई बार आंखों से सिर में भी हल्का-हल्का दर्द महसूस होने लगता है। इन दिक्कतों को ही डिजिटल आई स्ट्रेन कहते हैं।
-आंखों में दर्द और जलन महसूस करना
-स्क्रीन देखने पर चीजें धुंधली दिखाई देना भी आई स्ट्रेन का लक्षण है
-आंखों पर जोर पड़ने से सिर में दर्द होता है
-ज्यादा फोन का इस्तेमाल करने से आंखों में रूखापन आने लगता है
-कंधों और गर्दन में दर्द होना भी इसका एक साइन है
यह समस्या तब तक घातक नहीं है जब तक आपको मानसिक परेशानी नहीं महसूस हो रही है। शारीरिक दर्द दवाओं से सही किया जा सकता है मगर मेंटल हेल्थ के लिए आपको अपनी आदतें बदलनी होगी और एक्सपर्ट्स की सलाह लेनी होगी। हमेशा सिरदर्द, आंखों में दर्द और चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना गंभीरता की ओर इशारा करते हैं। समय से इलाज न करवाने पर यह समस्या धीरे-धीरे डिप्रेशन और तनाव में बदल जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप अपने दिमाग और आंखों को आराम करने का समय नहीं देते है। स्क्रीन्स का हमेशा इस्तेमाल मानसिक दबाव का कारण है। डिजिटल आई स्ट्रेन से काम करने में भी परेशानी हो सकती है।
-स्क्रीन पर काम करते समय आंखों को बीच-बीच में झपकाते रहें, इससे आंखें सूखेंगी नहीं
-लैपटॉप या कंप्यूटर से सही दूरी बनाकर बैठे, बिल्कुल नजदीक से देखने पर आंखों पर असर पड़ता है
-लगातार काम करने से बचें, बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें ताकि आंखों को आराम मिल सके
-कमरे में सही रोशनी का प्रबंध करें, इससे आंखों पर स्क्रीन की चमक बैलेंस रहेगी
-20-20 रूल वाली एक्सरसाइज करें, इसमें आपको किसी चीज को 20 सेकंड तक 20 फीट दूरी से देखना होता है
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