नई दिल्ली। आप भी मोबाइल चलाने के शौकीन होंगे और हो सकता है कि घंटों समय मोबाइल पर ही गुजारते हो। लेकिन, मनोवैज्ञानिक इसे दिमाग और सेहत दोनों के लिए ही बेहद नुकसानदायक मानते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि एक ओर जहां अधिक मोबाइल चलाने से आंखों की रोशनी पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। तो वहीं, अधिक मोबाइल चलाना किसी भी व्यक्ति को डिप्रेशन, एंग्जाइटी और चिड़चिड़ापन का शिकार बना सकता है। मोबाइल से दूरी बनाना जरूरी है, लेकिन ऐसा कुछ लोग नहीं कर पाते हैं। हाल ही में देश में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां रात के अंधेरे में अधिक समय तक मोबाइल चलाने से महिला की आंखों की रोशनी चली गई।
बता दें, स्मार्टफोन विज़न डिसॉर्डर, डिजिटल स्क्रीन के लंबे समय तक उपयोग से जुड़ा है, जिसमें आंखें और दृष्टि से संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। यह एक ऐसी समस्या है, जो लगातार तेज़ी से बढ़ती जा रही है। इसकी सबसे बढ़ी वजह है मोबाइल फोन्स और टैबलेट का लगातार और लंबे समय तक उपयोग करना। गौरतलब है कि महिला का उपचार कर रहे डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि महिला को देखने में स्पॉट्स, तेज़ रोशनी के फ्लैशेज़, ज़िग-ज़ैग लाइनें और किसी चीज़ पर फोकस न कर पाने की समस्या होनी शुरू हो गई थी। जब इसकी जांच की तो पाया कि महिला स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम नामक बीमारी से पीड़ित थी।
रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल की वजह से आंखों की रोशनी जाने का यह अपने आप में अनोखा मामला सामने आया है। हैदराबाद में रहने वाली 30 वर्षीय महिला इस हादसे का शिकार बनी गई है। बता दें, महिला को घंटों फोन चलाने की लत थी और अंधेरे में रोशनी तेज कर इसका प्रयोग अधिक किया करती थी। इसकी वजह से उसे करीब 18 महीने तक अंधेपन से जूझना पड़ा था।
डॉक्टर ने बताया था कि जब महिला ने न दिखने संबंधी समस्या के बारे में उन्हें बताया था तो उन्होंने उसकी डेली लाइफ के बारे में पूछा गया, तो महिला ने अधिक फोन प्रयोग होने की बात बताई थी। इसके बाद से उसे किसी तरह की जांच करने की सलाह नहीं दी गई और न कोई दवा दी। उससे फोन का प्रयोग बंद करने को कहा गया या बहुत कम करने को कहा। कुछ समय बाद महिला को एक महीने के बाद फिर बुलाया गया और इस बार उसके विजन में सुधार था। इतना ही नहीं धीरे धीरे उसकी आंखें बिल्कुल नार्मल हो गईं थी। डॉक्टरों का कहना है कि खराब तरीके से बैठना, लेटना, लगातार फोन या टैब का प्रयोग करते रहना, काम के बीच में ब्रेक न लेना, फोन को अधिक नजदीक से देखना इस बीमारी को बढ़ावा देता है।
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