नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार, खतरनाक लेवल का सीसा यानी (लीड) भारत में उपलब्ध हल्दी के नमूनों में पाया गया, जो कि FSSAI द्वारा निर्धारित स्टैंडर्ड लेवल से 200 गुना अधिक है। भारतीय रसोई का हल्दी ‘सुनहरी मसाला’ कहा जाता है। हल्दी का इस्तेमाल केवल भोजन में ही नहीं बल्कि पारंपरिक दवा में भी […]
नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार, खतरनाक लेवल का सीसा यानी (लीड) भारत में उपलब्ध हल्दी के नमूनों में पाया गया, जो कि FSSAI द्वारा निर्धारित स्टैंडर्ड लेवल से 200 गुना अधिक है। भारतीय रसोई का हल्दी ‘सुनहरी मसाला’ कहा जाता है। हल्दी का इस्तेमाल केवल भोजन में ही नहीं बल्कि पारंपरिक दवा में भी होता है। हल्दी शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायक है, परंतु एक हालिया अध्ययन ने हल्दी के संबंध में एक गंभीर खतरे का संकेत दिया है।
जानकारी के अनुसार, एक अध्ययन में पाकिस्तान के कराची व पेशावर में और भारत के पटना में उपलब्ध हल्दी के नमूनों में खतरनाक लेवल का सीसा (लीड) पाया गया है। यह मानक प्राधिकरण (FSSAI) और भारतीय खाद्य सुरक्षा द्वारा निर्धारित सीमा 10 माइक्रोग्राम/ग्राम से 200 गुना अधिक है। चेन्नई और गुवाहाटी में भी हल्दी के नमूनों में सीसा की उच्च मात्रा पाई गई। अध्ययन के मुताबिक हल्दी में सीसे का स्रोत संभवतः ‘लीड क्रोमेट’ है, जो पेंट, प्लास्टिक, रबर और सिरेमिक कोटिंग में प्रयोग होता है।
लीड एक भारी धातु होती है। लीड शरीर में कैल्शियम की तरह व्यवहार करती है। यह शरीर की हड्डियों में जमा हो जाती है। बता दें कि अधिक लीड के अधिक सेवन से किडनी, दिमाग और दिल पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसमें इंटेलिजेंस पर प्रभाव डालने के साथ-साथ किडनी फेल्योर, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। यह बच्चों में मानसिक विकास और सीखने में कठिनाई पैदा करता है और शरीर के विकास में रुकावट का कारण बनता है, जबकि वयस्कों में थकान, हाई ब्लड प्रेशर और पाचन समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानें तो, उपभोक्ताओं को हल्दी का सुरक्षित सेवन सुनिश्चित करने के लिए ऑर्गेनिक हल्दी का चयन करना चाहिए। हल्दी को घर पर पीसकर उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने से उसमें मिलावट के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों और सरकार से आग्रह किया गया है कि वे हल्दी की सप्लाई चेन में सीसे के उपयोग को रोकने के लिए कठोर कदम उठाएं और जनता को इसके खतरों के बारे में जागरूक करें।
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