नई दिल्ली। विटामिन-डी शरीर में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म जैसे अनेक कार्यों में मददगार साबित होता है, इसलिए शरीर में इसकी पर्याप्त और संतुलित मात्रा में उपस्थिति भी जरुरी होता है। हाल में जर्नल एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि विटामिन-डी डायबिटीज-2 की आशंका को काफी हद तक कम भी […]
नई दिल्ली। विटामिन-डी शरीर में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म जैसे अनेक कार्यों में मददगार साबित होता है, इसलिए शरीर में इसकी पर्याप्त और संतुलित मात्रा में उपस्थिति भी जरुरी होता है। हाल में जर्नल एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि विटामिन-डी डायबिटीज-2 की आशंका को काफी हद तक कम भी कर सकता है। लेकिन , विटामिन-डी की अधिकता भी दूसरी तरह की समस्या पैदा कर सकती है यानी विटामिन-डी जरूरी तो है, पर एक सुरक्षित सीमा के अंदर तक।
देश में बड़ी आबादी विटामिन-डी की कमी से पीड़ित है। लेकिन , पिछले 10-15 वर्षों में लोग विटामिन-डी की कमी को लेकर काफी जागरूक भी हुए हैं। पहले लोग सोच भी नहीं सकते थे कि भारत जैसे देश में विटामिन-डी की कमी जैसी समस्या भी पैदा हो सकती है। जबकि तथ्य यह है कि पूरे दक्षिण एशिया में बड़ी संख्या में लोग विटामिन-डी की समस्या से ग्रस्त है। पर्याप्त सूरज की रोशनी के बावजूद यह समस्या बढ़ती जा रही है । बता दें , लोग घरों से बाहर निकलकर काम करते हैं और दिन के समय किसान खेतों में होते हैं। फिर भी, उन्हें विटामिन-डी की कमी रहती है । इसका सबसे बड़ा कारण है- मेटाबॉलिज्म का सही नहीं होना और इस पर हमें ध्यान देने की जरूरत भी है। शरीर में मेटाबॉलिज्म और अवशोषण की प्रक्रिया बिल्कुल दुरुस्त चाहिए होती है।
आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि सूरज की रौशनी से विटामिन-डी की कमी को पूरा किया जा सकता है और सूरज की रोशनी जरूरी भी है। लेकिन , हमें अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा । संभव है कि इसकी कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट की भी जरुरत है ।अच्छे चिकित्सक की निगरानी में बीच-बीच में इसकी जांच करवा लेनी चाहिए । ऐसा भी नहीं है कि हर किसी को विटामिन-डी की गोली खाने को कहा जाए । किसको कितनी जरूरत है, यह जानना सबसे जरूरी बात है।डॉक्टर से परामर्श करके ही इसका टेस्ट और इलाज करवाना चाहिए।
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