नई दिल्ली: यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर इंसान के चलने-फिरने में कठिनाई हो सकती है। आमतौर पर हमारी किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर करके शरीर से बाहर निकाल देती है. वहीं जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है, तो यह क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा हो जाता है। इसके कारण जोड़ों में सूजन, […]
नई दिल्ली: यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर इंसान के चलने-फिरने में कठिनाई हो सकती है। आमतौर पर हमारी किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर करके शरीर से बाहर निकाल देती है. वहीं जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है, तो यह क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमा हो जाता है। इसके कारण जोड़ों में सूजन, रेडनेस, और तेज दर्द होने जैसे समस्याएं हो सकती है। इसके अलावा लंबे समय तक यूरिक एसिड का बढ़ा हुआ लेवल गाउट जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। ऐसे में आप घर की रसोई में रखी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से यूरिक एसिड पर नियंत्रण पा सकते है.
आयुर्वेद में गोखरू को यूरिक एसिड नियंत्रित करने में बेहद प्रभावी माना जाता है। वहीं हर हफ्ते इसके नियमित उपयोग से यूरिक एसिड के कारण होने वाले दर्द में आराम मिल सकता है। इसके अलावा प्यूरीन से भरपूर आहार जैसे रेड मीट, ऑर्गन मीट, बीयर और अत्यधिक प्रोटीन वाली सब्जियों के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये यूरिक एसिड को बढ़ाते हैं।
रिसर्च के अनुसार, बिना दवा के भी गोखरू का पानी पीने से यूरिक एसिड को नियंत्रित किया जा सकता है। गोखरू एक कांटेदार पौधा है, जिसे आयुर्वेद में कई दवाओं में उपयोग किया जाता है। यह हर्ब यूरिक एसिड के स्तर को तेजी से कम करने में फायदेमद होता है। बता दें, गोखरू में पोटैशियम, विटामिन सी, कैल्शियम, फ्लेवोनोइड, प्रोटीन और नाइट्रेट जैसे तत्व पाए जाते हैं. यह किडनी के फंक्शन को बेहतर बनाते हैं और शरीर से प्यूरीन को यूरिन के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करते हैं।
यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए गोखरू का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। गोखरू को पानी में भिगोकर, सुबह इस पानी को छानकर पीना फायदेमंद होता है। इसके अलावा गोखरू के पाउडर में पिसी सोंठ, मेथी और अश्वगंधा मिलाकर सेवन करने से भी यूरिक एसिड को नियंत्रित किया जा सकता है।
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