कई बार कुछ बीमारियों की वजह से महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। अगर समय रहते इन बीमारियों का पता चल जाए तो इनका आसानी से इलाज किया जा सकता है और गर्भधारण में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। तो आइए जानते हैं उन बीमारियों के बारे में जिनकी वजह से गर्भधारण करने और गर्भवती होने में परेशानी होती है।
नई दिल्ली: प्रेग्नेंसी के दौरान ही नहीं प्रेग्नेंसी से पहले भी महिलाओं को कई सारी समस्याएं आती हैं। इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन की रिपोर्ट बत्ती है की भारत में 2.75 करोड़ कपल बांझपन के शिकार हैं। इसका मतलब देश का हर छठा कपल बच्चे के लिए परेशान है। इसकी एक नहीं कई वजहें है।
पीसीओएस महिलाओं में होने वाला एक हॉर्मोनल डिसऑर्डर है। इस डिसऑर्डर की वजह से अंडाशय में सिस्ट बन जाते हैं, जिससे एग्स प्रोडक्शन प्रभावित होता है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है।
एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी परत के ऊतक गर्भाशय की बाहरी परत में बढ़ने लगते हैं। इस स्थिति की वजह से गर्भाशय में सूजन और दर्द होता है, जिससे गर्भधारण करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
थायराइड भी गर्भधारण करने में बाधा डाल सकता है। थायराइड डिसऑर्डर से पीड़ित महिलाओं को गर्भाशय में सूजन और दर्द की समस्या हो सकती है, जिससे गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है।
मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है, क्योंकि इससे गर्भाशय में सूजन और दर्द हो सकता है।
शरीर का बढ़ता वजन हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। इससे गर्भपात का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर कहते हैं कि मां बनने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 से अधिक नहीं होना चाहिए।
एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम गर्भधारण करने में समस्या पैदा कर सकता है। एड्स एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस) के कारण होता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। जिसमें गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा एड्स से हार्मोनल असंतुलन, योनि में संक्रमण और गर्भपात का खतरा भी बढ़ सकता है।
हेपेटाइटिस और टीबी दोनों ही गंभीर बीमारियाँ हैं, जो गर्भधारण में समस्या पैदा कर सकती हैं। हेपेटाइटिस से लीवर को गंभीर नुकसान हो सकता है और टीबी से फेफड़ों को गंभीर नुकसान हो सकता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, जिसके कारण गर्भधारण में समस्या हो सकती है।
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