नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में टूटा हुआ फर्श वास्तु दोष का कारण बनता है. ऐसे में घर में नकारात्मकता फैलने लगती है और झगड़े होने लगते हैं. छोटी-छोटी बातों पर परिवार के सदस्यों के बीच विवाद होने लगते हैं. इससे बचने के लिए टूटे हुए फर्श पर डोरमैट रखना चाहिए. वास्तु […]
नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में टूटा हुआ फर्श वास्तु दोष का कारण बनता है. ऐसे में घर में नकारात्मकता फैलने लगती है और झगड़े होने लगते हैं. छोटी-छोटी बातों पर परिवार के सदस्यों के बीच विवाद होने लगते हैं. इससे बचने के लिए टूटे हुए फर्श पर डोरमैट रखना चाहिए.
वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर का दरवाजा दोष मुक्त हो तो न सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है बल्कि घर में सुख-समृद्धि और आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है. आजकल ज्यादातर लोग घर के मुख्य दरवाजे पर डोरमैट रखते हैं. एक तरफ डोरमैट घर की साज-सज्जा और खूबसूरती बढ़ाता है तो दूसरी तरफ यह घर में गंदगी और मैल को आने से रोकता है। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार यह जानना जरूरी है कि घर में डोरमैट कहां, कैसे और किस रंग का होना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में टूटा हुआ फर्श वास्तु दोष का कारण बनता है. ऐसे में घर में नकारात्मकता फैलने लगती है और झगड़े होने लगते हैं. ऐसे में घर में नकारात्मकता फैलने लगती है और छोटी-छोटी बातों पर परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े होने लगते हैं. इससे बचने के लिए टूटे हुए फर्श पर डोरमैट रखना चाहिए.
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का डोरमैट आयताकार होना चाहिए. आयताकार डोरमैट घर के सदस्यों के बीच रिश्ते को मजबूत बनाता है.
घर में अशांति का माहौल खत्म करने के लिए डोरमैट के नीचे काले कपड़े में थोड़ा कपूर बांधकर रखें। इससे नकारात्मकता दूर होती है और रिश्ते मजबूत होते हैं।
अगर मुख्य द्वार पूर्व दिशा में है तो हल्के रंग का डोरमैट इस्तेमाल करना चाहिए।
नॉर्थ डायरेक्शन के लिए हमेशा हल्के रंग का डोरमैट इस्तेमाल करना शुभ होता है।
घर के बाहर के कमरों में रखे डोरमैट के नीचे फिटकरी रखने से नकारात्मकता दूर होती है।
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