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Smart phone Eye Cancer: स्मार्ट फोन के जरिए आंखों के कैंसर का पता लगाने की कोशिश, आप खुद भी कर सकते हैं जांच

नई दिल्ली. छोटे बच्चों में होने वाले आखों के कैंसर (Eye Cancer) की जागरूकता के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स ने अभियान चलाया है. दिल्ली के जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज के विद्यार्थी शहर के आंगनवाड़ी केंद्रों और क्लिनिक्स में जाकर छोटे बच्चों की फोटो क्लिक करते हैं. फोटो देखकर यदि बच्चों की आंखों में कुछ असाधारण नजर आता है तो बच्चों के पैरेंट्स को अस्पताल में जाकर आंखें चेक कराने के लिए कहा जाता है. इस तरह से आप भी आंखें चेक कर आई कैंसर का पता लगा सकते हैं.

आई कैंसर का वास्तविक नाम रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma) है जो कि बहुत ही रेयर बीमारी है. यह कैंसर सामान्यतया छह साल से कम उम्र के बच्चों में होता है. जो 15 हजार से 18 हजार लोगों में से एक को होता है. इसमें आंखों की पुतलियों में कैंसर का ट्यूमर पैदा होता है. जिसके बाद यह फैलता है. यदि इस बीमारी का समय रहते इलाज न हो तो आंखों की रोशनी के साथ ही पीड़ित की जान भी जा सकती है.

स्मार्टफोन से ऐसे लगता है आई कैंसर का पता-

इस अभियान से जुड़ी कॉलेज छात्रा गरिमा अरोड़ा ने बताया, “यह जांच एक दम सरल है. हम फोन के कैमरे में रेड आई करेक्शन (Red Eye Correction Function) को ऑफ करते हैं. इसके बाद करीब से बच्चे के मुंह का फोटो क्लिक किया जाता है. यदि उनकी आंखों में हमें सफेद रिफलेक्शन (White Reflection) नजर आता है, तो उनके पैरेंट्स को हम ‘सेंटर फॉर साइट’ हॉस्पीटल में जाकर आंखें चेक करवाने के लिए कहते हैं.”

‘सेंटर फॉर साइट’ में कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. विकास मेनन का कहना है कि पैरेंट्स इन कॉलेज स्टूडेंट्स की तरह ही अपने बच्चों में आई कैंसर का आसानी से पता लगा सकते हैं. यदि बच्चों की आंखों के काले हिस्से में सफेद रिफलेक्शन दिखाई देता है. साथ ही यदि बच्चों की आंखें लगातार लाल रहती हैं, आंखों में सूजन रहती है या फिर आंखों में भेंगापन है तो यह रेटिनोब्लास्टोमा (आई कैंसर) के संकेत हैं. ऐसी स्थिति में बच्चों को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

जल्द पता लग जाए तो संभव है इसका इलाज-

डॉ. विकास मेनन का कहना है कि यदि इस बीमारी का आरंभिक चरण में पता लग जाए तो इसका 100 प्रतिशत इलाज संभव है. इलाज के जरिए पीड़ित की आंखों के साथ-साथ उसकी जान भी बचाई जा सकती है. हालांकि समस्या यह है कि अक्सर लोगों को आंखों के कैंसर के बारे में जानकारी नहीं होती है. यहां तक कि अधिकतर डॉक्टर्स भी इस बीमारी से अनभिज्ञ हैं. इसलिए हमारे पास आई कैंसर के अधिकतर केस ऐसे ही आते हैं जिनमें ट्यूमर आंखों से बाहर आने लगता है.

आपको बता दें कि ‘सेंटर फॉर साइट’ का भारत में आई हॉस्पीटल का बड़ा नेटवर्क है. इस हॉस्पीटल ने जानकी देवी मेमोरियल के साथ पार्टनरशिप की है. जिसके जरिए कॉलेज स्टूडेंट्स जिन बच्चों को भेजते हैं उनकी आंखों की मुफ्त में जांच की जाती है. ताकि इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैल सके.

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Aanchal Pandey

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