नई दिल्ली: बदलते मौसम और संक्रमण के चलते सर्दी-जुकाम होना आम बात है, लेकिन जब यह लंबे समय तक बना रहे तो इसे साइनसाइटिस या साइनस कहा जाता है। इसमें नाक के अंदर सूजन आ जाती है और नाक बंद होना, कफ बनना, और नाक बहना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
साइनस चार प्रकार का होता है
1. एक्यूट साइनस: जो वायरल, फंगल, या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है।
2. क्रोनिक साइनस: लंबे समय तक नाक में सूजन रहना।
3. डेविएटेड साइनस: जिसमें नाक की हड्डी बढ़ जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
4. एलर्जिक साइनस: जो धूल, जानवरों के बाल, और एलर्जी के कारण होता है।
अगर किसी को लगातार जुकाम, सिर में दर्द, बुखार, नाक से पीला पदार्थ, सूजन, या सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो ये साइनस के लक्षण हो सकते हैं।
अगर साइनस के लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं तो क्रोनिक साइनस बन सकता है, जिसमें सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इस स्थिति की जांच के लिए सीटी स्कैन और नेजल एंडोस्कोपी जैसे टेस्ट किए जाते हैं। समय पर सर्जरी नहीं करवाई जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
साइनस का समय पर इलाज न करने से ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है, जिससे आंखों की रोशनी जाने का खतरा बढ़ जाता है। बढ़ते पॉल्यूशन और एलर्जी के कारण साइनस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए जरूरी है कि साइनस के लक्षणों को गंभीरता से लें और समय पर डॉक्टर से जांच करवाएं, ताकि भविष्य में किसी बड़ी समस्या से बचा जा सके।
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