नई दिल्ली: साइलेंट स्ट्रोक, स्ट्रोक, हार्ट अटैक पहले बुजुर्गों को काफी ज्यादा परेशान करते थे। लेकिन हाल ही में एम्स ने एक डेटा शेयर किया गया है जिसके अनुसार यह सभी बीमारी अब बुजुर्गों से ज्यादा नौजवानों को परेशान कर रही है। एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में एडमिट 100 मरीजों में से 20 मरीज को दो को स्ट्रोक हो चुका है। साल 2023 में कम उम्र के 6 मरीजों को स्ट्रोक के कारण एडमिट(Silent Killer) करवाया गया है।
बता दें कि यह डेटा काफी परेशान करने वाला है। डॉक्टरों के अनुसार इन मरीजों के स्ट्रोक के पीछे का कारण हाई बीपी की परेशानी है। जो कि अक्सर 21 से 45 की उम्र वाले लोगों में गंभीर रूप से देखने को मिलती है और एक साल में 300 लोगों में से 77 मरीज स्ट्रोक की वजह से एडमिट होते हैं।
एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के एडिशनल प्रोफेसर अवध किशोर(Silent Killer) पंडित के अनुसार एम्स के डेटा के हिसाब से हाई बीपी के कारण नौजवानों में स्ट्रोक का खतरा बढ़ा है और 5 साल पहले एम्स के रिसर्च के मुताबिक 260 मरीजों में से 65 प्रतिशत हाई बीपी के मरीज हैं।
बता दें कि ब्लड वेसेल्स के रुकावट और ब्लड वेसेल्स के टूटने के कारण इमरजेंसी ब्रेन, रेटिना और रीढ़ की हड्डी में डिसऑर्डर होता है। हाई बीपी, धूम्रपान, डायबिटीज, दिल की धड़कन में गड़बड़ी के कारण(Silent Killer) स्ट्रोक का खतरा 85 प्रतिशत बढ़ जाता है।
दिल से जुड़ी बीमारी, धूम्रपान, डायबिटीज, लिपिड डिसऑर्डर, मोटापा के कारण स्ट्रोक के मामले बढ़ते हैं। कई और भी वजह है जिससे स्ट्रोक होता है जैसे कि नींद की कमी, तनाव, नशाखोरी और डिप्रेशन लगभग 40 से 50 प्रतिशत मामले। अचानक गर्दन का मुड़ना, गर्दन में झटके, जिम में गर्दन की वजह से भी स्ट्रोक आ सकता है।
जानकारी दे दें कि दुनियाभर में हाई बीपी के काफी ज्यादा मरीज हैं और 3 में से 1 मरीज हाई बीपी का है। जिसके वजह से स्ट्रोक, किडनी डैमेज, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर होती है। हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों की संख्या 1980 और 2019 के बीच काफी ज्यादा बढ़ी है।
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