नई दिल्ली: रूबेला एक अत्यंत संक्रामक वायरस है, जो ख़ास तौर पर हवा के जरिए लोगों में फैलता है। बता दें,यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैल जाता है और सांस के माध्यम से शरीर में घुस जाता है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह वायरस बेहद खतरनाक साबित हो […]
नई दिल्ली: रूबेला एक अत्यंत संक्रामक वायरस है, जो ख़ास तौर पर हवा के जरिए लोगों में फैलता है। बता दें,यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैल जाता है और सांस के माध्यम से शरीर में घुस जाता है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह वायरस बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
रूबेला वायरस से संक्रमित व्यक्ति के चेहरे पर छोटे-छोटे लाल दाने उभर आते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। इसके अलावा, हल्का बुखार, सूजी हुई गाठ, सिरदर्द, थकान और नाक बहने जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए रूबेला संक्रमण काफी खतरनाक है। अगर गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में महिला रूबेला से संक्रमित हो जाती है, तो इसका सीधा असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। इस स्थिति को “कांगेनिटल रूबेला सिंड्रोम” कहा जाता है, जो बच्चे में गंभीर जन्मजात विकारों का कारण बन सकता है। इनमें दिल की बीमारियां, आंखों की समस्याएं, बहरापन, मस्तिष्क से संबंधित समस्याएं और शारीरिक विकास में देरी शामिल हो सकती हैं।
रूबेला से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका रूबेला वैक्सीन है। यह वैक्सीन बच्चों को खसरा, मम्प्स और रूबेला से बचाव के लिए बचपन में दी जाती है। गर्भधारण की योजना बना रही महिलाओं को भी यह वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है।
रूबेला एक मौसमी बीमारी है, जो आमतौर पर सर्दियों और वसंत ऋतु में फैलती है। इस बीमारी से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। अगर किसी व्यक्ति में रूबेला के लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए इस वायरस का संक्रमण बेहद गंभीर साबित हो सकता है,क्यूंकि यह मृत शिशु के जन्म का कारण भी बन सकता है। इसलिए समय रहते डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
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