नई दिल्ली: बदलते मौसम का असर यूँ तो सभी पर पड़ता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर उस व्यक्ति पर ज्यादा पड़ता है जो पहले से ही बीमारियों से परेशान हैं, जैसे- बरसात के मौसम में लोगों को इन्फेंक्शन फैलने लगता है, गर्मी के मौसम में घमोरियां और खुजली होने लगती है और ठंड आने से अस्थमा वाले मरीजों की समस्या दोगुनी तेजी से बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में इंसान मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहद कमजोर होने लगता है, इसलिए आपने अक्सर सुना होगा कि गर्मियों के समय में सिर को ढ़क कर चलना चाहिए क्योंकि गर्मी के मौसम में ज्यादा तापमान के कारण इंसान को पानी की कमी (Dehydration) और (Delirium) बेहोशी होने लगती है, जिसका सीधा सर आपके मस्तिष्क पर पड़ता है. तो चलिए जानते हैं कि एक रिसर्च के मुताबिक हीटवेव हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे हानि पहुंचाता है.
हाल ही में की गई एक स्टडी के मुताबिक पता चलता है कि किसी भी जगह पर सामान्य तापमान से अगर 5% तापमान उपर चला जाता है, तो अस्पतालों में आपातकालीन कक्ष लगभग 10% तक ज्यादा भर जाते हैं, जिसमे मानसिक रोगों से पीड़ित, डिप्रेशन के मरीज, सामान्य चिंता करने वाले लोग शामिल होते हैं.
इस अध्ययन में बताया गया है, कि बढ़ते तापमान का असर इन लोगों पर ज्यादा पड़ता है और अनुमानित तौर पर हर एक डिग्री सेल्सियस तापमान के ऊपर जाने पर लगभग 2.2% मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मौतों में बढ़ोतरी देखी जाती है.
गर्मी में बढ़ते तापमान के चलते भी मानसिक रूप से स्वस्थ और मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोग लोगों के सोचने पर बढ़ते तापमान का बुरा असर पड़ता है. शोध से ये भी पता चलता है कि मुश्किल कामों को करने के लिए मस्तिष्क का सही रहना बेहद जरुरी है, लेकिन गर्मी में तनाव बढ़ जाने के चलते ऐसा कर पाना मुश्किल हो जाता है.
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