Relationship: क्या है तलाक-ए-हसन? जानिए इस्लाम में कितने तरीके के होते हैं तलाक

नई दिल्ली: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन का मामला काफी चर्चा में है। इसके पहले तीन तलाक भी काफी चर्चे में रहा था. वहीं अब तलाक ए हसन को भी बैन करने की मांग की जा रही है सवाल है कि तलाक-ए-हसन क्या है और ये तीन तलाक से कितना अलग है? आइये […]

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Relationship: क्या है तलाक-ए-हसन? जानिए इस्लाम में कितने तरीके के होते हैं तलाक

Amisha Singh

  • August 18, 2022 10:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन का मामला काफी चर्चा में है। इसके पहले तीन तलाक भी काफी चर्चे में रहा था. वहीं अब तलाक ए हसन को भी बैन करने की मांग की जा रही है सवाल है कि तलाक-ए-हसन क्या है और ये तीन तलाक से कितना अलग है? आइये सबसे पहले जानते हैं कि इस्लाम में तलाक के कितने तरीके हैं और विवादों से घिरा तलाक-ए-हसन क्या है।

इस्लाम में कितने तरीके के तलाक होते हैं?

मसलिमों में इस्लाम धर्म को मानने वालों के बीच तलाक के तीन तरीके प्रचलित हैं।

तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक,
तलाक-ए-हसन
तलाक-ए-अहसन

इस्लाम में तलाक-ए-हसन क्या है?

बता दें, तलाक की इस प्रक्रिया में तीन महीने लगते हैं। शौहर तीन महीने में हर महीने एक एक बार करके कुल तीन बार तलाक बोलकर निकाह तोड़ सकता है। इसमें ऐसा होता है कि पहली बार तलाक बोलने पर भी शौहर और बीवी एक साथ रहते हैं। अगर दोनों मियां-बीवी के दरमियान तीन महीनों में सुलह हो जाती है तो पति तलाक लेना कैंसिल कर सकता है, नहीं तो तीसरे महीने में आखिरी बार तलाक बोलकर निकाह के रिश्ता खत्म कर सकता है। मालूम हो कि इस तरह के तलाक के बाद शौहर अपनी बीवी से दोबारा निकाह कर सकते हैं लेकिन इस तरह के तलाक में बीवी को हलाला से गुजरना पड़ता है यानी अपने पति से फिर से निकाह करने से पहले किसी दूसरे मर्द से शादी करके उससे तलाक लेना पड़ता है।

क्या है तलाक-ए-अहसन?

तलाक-ए-अहसन में भी तीन महीने लगते है, इसमें तलाक ए हसन की तरह शौहर को तीन बार तलाक कहने की जरूरत नहीं होती। बल्कि शौहर एक बार ही तलाक कहता है, जिसके बाद मियां बीवी एक ही छत के नीचे तीन महीने तक रहते हैं। इस दौरान अगर दोनों में सुलह हो जाती है तो तलाक नहीं होता, वरना तीन महीने बीतने के बाद तलाक हो जाता है। इस तलाक के बाद मियां बीवी दोबारा निकाह कर सकते हैं।

क्या है खुला?

इसके अलावा इस्लाम में औरतों को भी तलाक लेने का हक़ है। औरतें खुला तलाक ले सकती हैं। हालांकि इस तरह के तलाक में महिला को मेहर यानी कि निकाह के समय पति की तरफ से दिए गए पैसे चुकाने होते हैं। इसके साथ ही खुला तलाक में शौहर की रजामंदी भी जरूरी होती है।

 

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