जेल जाकर भी ले सकते हैं बादाम-पिस्ता का मज़ा, बशर्ते..

नई दिल्ली, अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि जेल में कैदियों की ज़िंदगी कैसी होती होगी, उन्हें खाने को क्या मिलता होगा, वे कैसे अपना दिन बिताते होंगे. अब ये तो सभी को पता है कि जेल में कैदियों से कड़ा परिश्रम करवाया जाता है, लेकिन उन्हें खाने में क्या मिलता […]

Advertisement
जेल जाकर भी ले सकते हैं बादाम-पिस्ता का मज़ा, बशर्ते..

Aanchal Pandey

  • May 24, 2022 9:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली, अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि जेल में कैदियों की ज़िंदगी कैसी होती होगी, उन्हें खाने को क्या मिलता होगा, वे कैसे अपना दिन बिताते होंगे. अब ये तो सभी को पता है कि जेल में कैदियों से कड़ा परिश्रम करवाया जाता है, लेकिन उन्हें खाने में क्या मिलता है इसके बारे में आज हम आपको बताएंगे.

राज्य सरकारें कैदियों पर कितना खर्च करती हैं ?

असल में जेलों में कैदियों को कैसा खाना मिलता है यह उस राज्य पर भी निर्भर करता है कि वहां की सरकार अपने कैदियों पर कितना खर्च करना चाहती है, क्योंकि भारत में जेलों का मैनेजमेंट राज्य सरकारों के पास होता है. NCRB यानी नेशनल क्राइम्स रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार औसतन प्रति कैदी ₹52.42 पैसे खर्च करती है, जिसके हिसाब से उसे सुबह के नाश्ते के साथ दो टाइम का खाना भी मुहैया कराया जाता है. जम्मू-कश्मीर और नागालैंड की सरकारें अपने कैदियों पर सबसे ज्यादा खर्च करती है तो वहीं दिल्ली, गोवा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की सरकारे अपने कैदियों पर बहुत ही कम खर्च करती है.

जेल का ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर

गृह मंत्रालय द्वारा मॉडल प्रीजम मैनुअल में यह गाइडलाइन दी गई है कि पुरुष कैदी को 2320 कैलरी और महिलाओं को 1900 कैलरी रोजाना दी जानी चाहिए, लेकिन जो प्लेट पर कैदियों को पतली दाल, चार रोटियां और चावल ही मिलते हैं. खाना सीमित होता है इसलिए कुछ कैदी खाना बांट कर खाते हैं तो कुछ कैदी बाहर से खाना मंगाते हैं. बाहर से खाना मंगाने के अलग नियम होते हैं. बाहर से खाना मंगाने के लिए कैदियों को जेल से अनुमति लेनी पड़ती है और एक बार अनुमति मिलने पर कैदी कुछ सीमित भोजन बाहर से मंगा सकते हैं और यह अनुमति भी हर बार नहीं मिलती है.

सुबह 7:00 बजे कैदियों को नाश्ते में चाय और पोहा या फिर कुलचे और छोले मिलते दिए जाते हैं. वहीं, लंच 12:30 पर दिया जाता है, जिसमें 4 रोटी, 1 सीजनल सब्जी, दाल और चावल होते हैं. शाम के समय कैदियों को चाय और बिस्किट दिए जाते हैं जबकि डिनर में लंच की तरह ही खाना दिया जाता है, बस फर्क इतना रहता है कि उसमें कुछ सब्जियां अलग हो जाती हैं. रविवार को कैदियों को ख़ास खाना दिया जाता है, इस दिन पनीर, कढ़ी और राजमा दिया जाता है.

हर महीने कैदी अपने घर से 2000 रूपये तक मंगा सकते हैं, साथ ही जेल में उन्हें काम करने के भी पैसे दिए जाते हैं. इस पैसे से वे मलाई, दूध, दही, पिस्ता, बादाम, अखरोट आदि खा सकते हैं.

कुतुबमीनार विवाद: नहीं बदली जा सकती क़ुतुब मीनार की पहचान – कोर्ट में पुरातत्व विभाग ने दाखिल किया जवाब

Advertisement