नई दिल्ली : ऐसी कई बातें हैं, जो आप न चाहते हुए भी अपने बच्चों से बातचीत करते हुए कह देते हैं। आप चाहे वो बात मज़ाक में कह रहे हों, लेकिन कुछ बातों का आपके बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं। एक अच्छे पैरेंट के तौर पर आपको वयस्क और बच्चे दोनों की तरह सोचने की ज़रूरत है। जो बातें आप खुद सुनना पसंद नहीं करते, वो आपको अपने बच्चे के सामने भी करने से बचना चाहिए।
सभी माता-पिता अपने बच्चों के बारे में अच्छा ही सोचते हैं। इसके बावजूद आप बिना सोचें समझे अपने बच्चों के सामने खराब भाषा का प्रयोग करने लगते हैं। बता दें, आप जिस तरह बच्चों से बात करते हैं, उससे उन पर काफी फर्क पड़ता है। वे इन्हीं बातों से सीखते हैं। उनसे जिस भाषा में बात की जाएगी, वे बाहर के लोगों से भी उसी भाषा में बात करेंगे। ऐसे शब्द या बोल जो विनम्र नहीं हैं और पक्षपाती हैं उन्हें हर कीमत पर टालाना चाहिए।
इस तरह के भेदभाव वाले विचारों को अपने बच्चे तक पहुंचने से रोकने की कोशिश करें। इन बातों को बिल्कुल भी चर्चा में न लाएं कि लड़कों और लड़कियों को अलग-अलग तरह के काम करने होते हैं।बच्चे के साथ लिंग निष्पक्षता पर चर्चा की जानी चाहिए ताकि वे बड़े होकर इसे स्वीकार करें और सभी को एक जैसा सम्मान दें सके ।
बचपन एक ऐसा समय होता है, जब आप नई-नई चीज़ों को सीखा करते हैं और आज़माते भी हैं। अगर आपका बच्चा किसी नई चीज़ में बार-बार फेल हो रहा है, तो उसे उस चीज़ को छोड़ने के लिए उसे उत्साहित न करें। आप बस बच्चे को कोशिश करते रहने दें। वो जल्द ही सफलता हासिल करेगा, ऐसा करने से उसे हौसला मिलेगा।
बच्चों से किसी भी काम को करने में जल्दी न कराएं। एक बच्चा किसी भी काम को करने में अपना समय, गति और समझ लेता है। वे अपना काम करने की खुद रणनीति बनाते हैं। इसलिए उन्हें भगाने से बेहतर है, उनके साथ बैठें और काम को जल्दी ख़त्म करने में उनकी मदद करें।
एक बच्चे के लिए एक साथ सब कुछ समझना बहुत मुश्किल होता है। माता-पिता अपने सालों के अनुभव को अपने बच्चे पर बिल्कुल न थोपें। बच्चों को सीखने और विकास में वक्त लगता है।
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