नई दिल्ली : बढ़ती गर्मी ने सब का हाल बेहाल किया हुआ है। जिसके चलते बच्चों को स्कूल से भी ब्रेक मिलने लगा है और बच्चे इस बात से खुश होते हैं कि उन्हें सुबह जल्दी नहीं उठना पड़ेगा और न ही दिनभर पढ़ाई करनी पड़ेगी। समर वेकेशन के चलते मां-बाप भी कुछ हद तक […]
नई दिल्ली : बढ़ती गर्मी ने सब का हाल बेहाल किया हुआ है। जिसके चलते बच्चों को स्कूल से भी ब्रेक मिलने लगा है और बच्चे इस बात से खुश होते हैं कि उन्हें सुबह जल्दी नहीं उठना पड़ेगा और न ही दिनभर पढ़ाई करनी पड़ेगी। समर वेकेशन के चलते मां-बाप भी कुछ हद तक रिलेक्स्ड महसूस करने लगते हैं। हालांकि, छुट्टियों में बच्चों का रूटीन बनाकर रखना चाहिए ताकि उनकी सही आदतें छूट न जाए। छुट्टियों में आराम करना ज़रूरी है, लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि बच्चे की आदत खराब न हो क्योंकि जब स्कूल खुलते हैं तो बच्चों को यही आदतें परेशान करने लगती हैं। ऐसे में इस ‘समर ब्रेक’ के दौरान माता-पिता कुछ चीज़े भूल जाते हैं।
माता – पिता को अपने बच्चों को बताना चाहिए कि गर्मी की छुट्टियों का मतलब सिर्फ खेल और मस्ती ही नहीं होता। साथ ही उन्हें पढ़ाई के लिए भी समय फिक्स करना चाहिए। फिर चाहे दिन में एक घंटा ही क्यों न हो। छुट्टियों में पढ़ने का समय न रखने से बच्चों का रुटीन खराब हो जाता है और उनके लिए 2 महीने बाद फिर पढ़ाई शुरू करना मुश्किल हो जाता है।गर्मी की छुट्टियों में पढ़ने के लिए एक समय निश्चित करें और बच्चों को इसे फॉलो करने के लिए जरूर कहें। इसमें पढ़ाई के साथ टीवी देखने, बाहर खेलने का समय भी तय करें।
सभी मां-बाप बच्चों के ज़रिए अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। जो चीज़ें वे हासिल न कर सके, बच्चों से उन्हें पाने की उम्मीद करते हैं, यह जाने बिना कि बच्चा वास्तव में इसमें रूचि रखता है या नहीं। यही वजह है कि गर्मियों की छुट्टियों में कोचिंग क्लासेज़ शुरू हो जाती हैं। मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा हर चीज़ में नंबर वन आए, और इसके लिए आसपास की सभी एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटी का हिस्सा बनाने का दबाव डालते हैं। इससे बच्चे एनर्जी ख़त्म हो जाती है। बच्चों को आराम का वक्त दें। बच्चे से बात करें, उसके शौक के बारे में जानें और फिर उस हिसाब से ट्रेनिंग करवाएं। हर चीज़ सीखने से आपका बच्चा मास्टर नहीं बनेगा।
गर्मी की छुट्टियों में कई परिवार देर से उठना शुरू कर देते हैं, जिसकी वजह से खाने का समय भी लेट हो जाता है। हर व्यक्ति के लिए खाने का समय नींद और मल त्याग को नियंत्रित करने का काम करता है। अगर आपका बच्चा दिन का पहला मील दिन में लेगा, तो इससे उसकी नींद और मल त्यागने पर भी असर पड़ेगा। खासतौर पर स्कूल शुरू होने पर यह समस्या बन सकती है।