शर्मीला नहीं स्ट्रेंजर एंजाइटी का शिकार है आपका नन्हा बच्चा, जानिए क्या है वजह

नई दिल्ली। छोटे बच्चे अपने माता पिता के सामने बहुत एक्टिव होते है। घर में जितने लोग होते हैं उनसे चटर पटर बातें करना।। कभी पोयम सुनाना, कभी तोतली जुबान में कहानी सुनाना और कभी सिर्फ एक रिक्वेस्ट पर फेवरेट गाना सुना देना। घर में जब कोई नया व्यक्ति आता है, मेहमान या रिश्तेदार तब […]

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शर्मीला नहीं स्ट्रेंजर एंजाइटी का शिकार है आपका नन्हा बच्चा, जानिए क्या है वजह

Tamanna Sharma

  • January 26, 2023 3:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। छोटे बच्चे अपने माता पिता के सामने बहुत एक्टिव होते है। घर में जितने लोग होते हैं उनसे चटर पटर बातें करना।। कभी पोयम सुनाना, कभी तोतली जुबान में कहानी सुनाना और कभी सिर्फ एक रिक्वेस्ट पर फेवरेट गाना सुना देना। घर में जब कोई नया व्यक्ति आता है, मेहमान या रिश्तेदार तब पेरेंट्स बच्चे की क्वालिटीज दिखाने के लिए सवाल पर सवाल उनसे करने लगते है। कभी बच्चों को कविता सुनाने के लिए कहा जाता है , तो कभी कहानी ,कभी गाना। एक रिसर्च के मुताबिक , जो बच्चे घर में खूब बातें करते हैं वो नए चेहरे को देखकर एकदम चुप हो जाते हैं और कई बार तो मम्मी पापा के पीछे ही छिपे रहते हैं। जिसे हम बच्चों का शर्मीलापन मान लेते हैंऔर इस आदत की वजह स्ट्रेंजर एंजाइटी भीबन सकती है।

ये होती है स्ट्रेंजर एंजाइटी

किसी भी अजनबी को देखकर बच्चे टेंशन में आ जाएं या छुपने लग जाएं तब समझिए कि बच्चे को स्ट्रेंजर एंजाइटी का शिकार हो रहा है। ये डिस्ट्रेस बेबी का ही एक प्रकार भी माना जा सकता है। नए लोगों को देखकर डरनाऔर पुराने लोगों में सेफ फील होना एक किस्म की एंजाइटी हो होती है।

स्ट्रेंजर एंजाइटी के कुछ लक्षण

1. स्ट्रेंजर एंजाइटी को समझने के लिए बच्चों में इस बदलाव या आदत को ऑब्जर्व करते रहना है।
2. मेहमान या किसी नए सदस्य को घर में देखकर डर जाना या एक दम से रोना शुरू कर देना।
3. एक ही कमरे में नए व्यक्ति के साथ होने पर भी डरते रहना।
4. इस एंजाइटी में बच्चे किसी नए व्यक्ति के आने पर लगातार मम्मी या पापा के आगे पीछे ही रहते हैं और खुद को नॉर्मल करने के लिए तेज तेज सांसे भी लेते रहते है।

स्ट्रेंजर एंजाइटी से बचने के कुछ तरीके

1. स्ट्रेंजर एंजाइटी को कम करने के लिए बच्चे को दूसरे से बेधड़क बात करने दे और उसे रोके टोके नहीं ना ही दूसरों के सामने ही तौर तरीके सिखाने की कोशिश करे।
2. अगर लगे कि बच्चा डर रहा है तो उसे नए व्यक्ति के साथ एकदम अकेला छोड़कर न कही जाएं। बल्कि उसके कंफर्टेबल होने तक साथ ही रहें और एंजाइटी अपने आप कम होने लग जाएगी।
3. हो सकता है कि इस तरह डरने की आदत बच्चों में लंबी चले , तो इसलिए खुद भी थोड़ा सब्र रखकर बच्चों का इस में साथ दें।

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