नई दिल्ली: गृध्रसी, जिसे साइटिका के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें कमर से लेकर पैर के पंजे तक तेज दर्द होता है। यह दर्द अक्सर एक ही पैर में होता है और इतना तीव्र होता है कि रोगी को रात में सोना मुश्किल हो जाता है।
साइटिका के प्रमुख लक्षणों में एक पैर में लगातार तेज दर्द होना शामिल है, जो पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक महसूस होता है। इस दर्द के कारण चलना-फिरना, बैठना और सोना भी कठिन हो जाता है।
आयुर्वेद में साइटिका का इलाज हारसिंगार (पारिजात) के पत्तों से किया जा सकता है, जो बेहद प्रभावी और सरल है।
1. हारसिंगार के 10-15 ताजे और कोमल पत्ते लें।
2. पत्तों को अच्छी तरह धो लें और हल्का-सा कूट लें। ध्यान रखें कि इन्हें बहुत बारीक न करें।
3. अब 2 कप पानी में इन पत्तों को धीमी आंच पर उबालें। इसे चाय की तरह हल्की आंच पर पकाएं, तेज आंच पर नहीं।
4. जब काढ़ा तैयार हो जाए, तो इसे छानकर गरमागरम पी लें।
इस काढ़े को पीने से आपको पहले ही दिन 10% आराम महसूस हो सकता है। इसे दिन में दो बार पिएं। यदि आप बाहर काम करते हैं, तो काढ़ा थर्मस में भरकर साथ ले जाएं।
– काढ़े का सेवन करने से 15 मिनट पहले और बाद में ठंडा पानी न पिएं।
– दही, लस्सी और आचार से भी परहेज करें।
– नियमित रूप से इस उपचार को अपनाएं।
साइटिका के दर्द से राहत पाने के लिए हारसिंगार का काढ़ा एक सरल और प्राकृतिक तरीका है। सही तरीके से और नियमित सेवन करने पर यह काढ़ा साइटिका के मरीजों को लंबे समय तक आराम पहुंचा सकता है।
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