क्या आप जानते हैं कि इसका प्रयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है. दरअसल, हाल ही में हुए एक शोध ने दावा किया है कि यूरोप में माइक्रोवेव अवन के इस्तेमाल से जितना कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन हुआ है उतना कार्बन डाईऑक्साइड लगभग 70 लाख कारों से निकलता है.
नई दिल्ली: आमतौर पर खाना गर्म करने के लिए आप माइक्रोवेव अवन का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका प्रयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है. दरअसल, हाल ही में हुए एक शोध ने दावा किया है कि यूरोप में माइक्रोवेव अवन के इस्तेमाल से जितना कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन हुआ है उतना कार्बन डाईऑक्साइड लगभग 70 लाख कारों से निकलता है. बता दें कि इंगलैंड की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने माइ्क्रोवेव के पर्यावरण प्रभावों के पहले अध्ययन में यह दावा किया गया है.
रिसर्च के मुताबिक, यूरोपीय संघ में माइक्रोवेव अवन के इस्तेमाल से लगभग 77 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन मापा गया है. गौरतलब है कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार माने वाली कार्बन डाईऑक्साइड गैस की 77 लाख टन की मात्रा करीब 70 लाख कारों से निकलने वाली इस हानिकारक गैस की मात्रा के बराबर है. इस शोध के दौरान शौधकर्ताओं ने माइक्रोवेव का वातावरण जानने के लिए उनके जीवन चक्र का निर्धारण किया जिसमें माइक्रोवेव के निर्माण से लेकर उसके प्रयोग और उसकी समाप्ति तक कितना वेस्ट मैनेजमेंट को स्टडी में शामिल किया गया.
रिसर्च के दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई कि माइक्रोवेव अवन के निर्माण करने से पहले जिन सामानों का प्रयोग होता है उससे पर्यावरण को काफी खतरा होता है. बता दें कि माइक्रोवेव को इस्तेमाल करते हुए जितनी बिजली की खपत होती है उससे वातावरण पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. दरअसल, पूरे यूरोपीय संघ में हर साल माइक्रोवेव लगभग 9.4 टेरा वाट बिजली प्रति घंटे खाते हैं. यह मात्रा किसी 3 बड़े गैस बिजली संयंत्रों से साल में पैदा होने वाली बिजली के बराबर है.
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