नई दिल्ली: बीमार होने पर लोग दवा तो अक्सर खाते हैं लेकिन उस दवा का कड़वापन उनकी जुबान पर काफी समय तक बना रहता है। कई लोग तो कड़वेपन के वजह से ही दवा से परहेज करने लगते हैं। किसी भी बीमारी के होने पर दवा खाना एक मजबूरी है पर कई बार लोग सोचते हैं कि आखिर दवा इतनी कड़वी क्यों बनाई जाती है। दरअसल, ऐसा नहीं है कि सभी दवा कड़वी होती हैं। कई ऐसी दवा हैं जिनका स्वाद मीठा(Medicine Bitter Taste) होता है। अगर आपने भी कभी ऐसा सोचा है तो चलिए जानते हैं इसकी वजह।
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक किसी दवा का स्वाद कड़वा(Medicine Bitter Taste) इसलिए होता है क्योंकि उसमें कई तरह के कंपाउंड मिलाए जाते हैं। इस दौरान प्लांट्स कंपाउंड के साथ-साथ कुछ दवाएं फैक्टरी में भी बनती है और इसमें कई तरह के कैमिकल मिलाए जाते हैं। दरअसल फैक्टरी में बने ये कैमिकल अपने नेचुरल रूप में कड़वे ही होते हैं। यहीं कारण है कि दवा भी कड़वा ही स्वाद देती है। हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि हर दवा कड़वी लगती है। अगर देखा जाए तो हर दवा स्वाभाविक रूप से कड़वी होती है लेकिन कई बार दवाओं को मीठा करने के लिए उनमें शुगर मिलाई जाती है और कुछ दवाओं पर शुगर कोटिंग की जाती है जिससे की दवा के मुंह में जाने पर कड़वापन नहीं महसूस होता है।
आप ऐसा सोच रहे होंगे कि जब दवा खाई जा सकती है तो दवा के कैप्सूल क्यों बनते हैं। दरअसल, इसके पीछे भी एक वजह है। कुछ दवाएं इतनी कड़वी होती है कि अगर उनको मुंह में रखा जाए तो निगला नहीं जा सकता है। इसीलिए इनको कैप्सूल के फॉर्म में बनाया जाता है। क्योंकि कैप्सूल की ऊपरी परत मुलायम जिलेटिन से बनती है और पेट के अंदर जाने पर घुल जाती है। इसीलिए कैप्सूल के जरिए कड़वी दवा जीभ के संपर्क में नहीं आती और इस तरह कड़वी से कड़वी दवा खाई जा सकती है।
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