Maha Shivratri 2020: महाशिवरात्रि की रात जागने का है खास महत्‍व, जानिए क्यों कही जाती है शिव की रात

Maha Shivratri 2020: जैसा कि इस त्यौहार का नाम ही है महाशिवरात्रि यानी शिव की रात्रि. ऐसा महत्व है कि महाशिवरात्री की रात पूरी रात जागने की प्रथा है. महाशिवरात्रि की रात जानने का ना सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है. आइये आपको बताते हैं महाशिवरात्रि में पूरी रात जागने का क्या है महत्व और इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण.

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Maha Shivratri 2020: महाशिवरात्रि की रात जागने का है खास महत्‍व, जानिए क्यों कही जाती है शिव की रात

Aanchal Pandey

  • February 17, 2020 1:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली:  इस बार महासिवरात्रि 2020 का पर्व 21 फरवरी को पूरे भारत में मनाया जाएगा. इस दिन विशेष कर भगवान शिव की पूजा होती है. खास बात यह है कि इस दिन भगवान की पूजा ना सिर्फ सुबह-शाम बल्कि चारों पहल की जा सकती है. माना जाता है चारों पहर पूजा करने वालों को धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.महिलाएं और पुरूष दोनों ही इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत भी रखते हैं.

महाशिवरात्रि के दिन पूजा पाठ करने के बाद पूरी रात जागने की मान्यता है. आपको बता दें कि साल में 12 शिवरात्रि होती है. हर माह शिवरात्रि होती है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है. लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस महाशिवरात्रि के दिन पूरी श्रद्धा से भगवान शिव पार्वती की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

महाशिवरात्रि की रात जागने का धार्मिक महत्व– धार्मिक दृष्टिकोण के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए भक्त शिव पार्वती के विवाह के तौर पर इस रात जागरण करते हैं. इस दिन रात्रि में भी पूजा-पाठ की जाती है. वहीं ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शिव और मां पार्वती इस दिन भ्रमण के लिए निकलते हैं. इसलिए सभी पूरी रात जागते हैं.प्राचीन ग्रंथों में भी कहा गया है कि शिव ही आरंभ हैं और शिव ही अंत. इसलिए यह रात अपने मन में बैठे शिव को देखने की रात होती है.

महाशिवरात्रि की रात जागने का वैज्ञानिक महत्व–  महाशिवरात्रि की रात जागने का धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. महाशिवरात्रि की रात सबसे अधेरी रात मानी जाती है.इस दिन उर्जा प्रवाह धरती से आकाश की ओर होता है. यानी नीचे से ऊपर की ओर. ऐसे में रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने से उर्जा का प्रवाह सही तरीके होता है. यानी इस रात आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए ताकि आपको ऊर्जा के प्राकृतिक चढ़ाव का पूरा लाभ मिले और ऊर्जा ऊपर की ओर जा सके. इसलिए ये नियम बनाया था कि कोई भी इस रात को नहीं लेटेगा. 

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