नई दिल्ली: अगर केवल एक घंटे में ही आपको ब्रेन कैंसर का पता चल जाए तो वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक नई तकनीक विकसित की है। बता दें, ग्लियोब्लास्टोमा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का पता लगाने के लिए सर्जिकल बायोप्सी के मुकाबले लिक्विड बायोप्सी मेथड काफी आसान माना जाता है. ग्लियोब्लास्टोमा क्या होता है ग्लियोब्लास्टोमा […]
नई दिल्ली: अगर केवल एक घंटे में ही आपको ब्रेन कैंसर का पता चल जाए तो वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक नई तकनीक विकसित की है। बता दें, ग्लियोब्लास्टोमा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का पता लगाने के लिए सर्जिकल बायोप्सी के मुकाबले लिक्विड बायोप्सी मेथड काफी आसान माना जाता है.
ग्लियोब्लास्टोमा एक गंभीर और आमतौर पर लोगों में पाया जाने वाला ब्रेन कैंसर है. वहीं इससे निजात पाने के लिए सर्जिकल बायोप्सी की जटिल प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें अधिक समय लगता है। हालांकि लिक्विड बायोप्सी से यह काम बेहद आसान हो गया है। इस विधि में ग्लियोब्लास्टोमा से जुड़े बायोमार्कर का पता लगाने के लिए केवल 100 माइक्रोलीटर खून की जरूरत होती है, जो एक बूंद से भी कम है। वहीं एक घंटे के अंदर आपको इसका रिजल्ट मिल जाता है।
लिक्विड बायोप्सी खून में म्युटेटेड बायोमार्कर की पहचान करती है, जिसे एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर्स कहा जाता है। बता दें, यह बायोमार्कर ग्लियोब्लास्टोमा के साथ-साथ कुछ अन्य कैंसर में अधिक सक्रिय होते हैं। वहीं इस तकनीक को ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने मिलकर विकसित किया है। इसमें ईजीएफआर का पता लगाने के लिए एक विशेष बायोचिप का उपयोग किया जाता है, जिसकी कीमत $2 से भी कम है। यह बायोचिप खून के नमूने में वोल्टेज में परिवर्तन का पता लगाती है, जिससे कैंसर की मौजूदगी का संकेत मिलता है।
ग्लियोब्लास्टोमा एक खतरनाक ब्रेन ट्यूमर है। इसके लक्षणों में बार-बार सिरदर्द, दौरे, उल्टी, देखने और बोलने में कठिनाई, याददाश्त में कमी, और शरीर के एक तरफ कमजोरी जैसी समस्याएं शामिल हैं। यदि इनमें से आपको कोई भी लक्षण नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
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